Monday 29 April 2013

naiya le chal parli paar - mridul krishan shastri ji

Naiya le chal parli paar, jahan biraaje radha rani


Radhe Radhe,
Devotees, we just need to devote our every action to Krishna.
Whatever you do, just devote to Krishna.
In this way, we can do nothing wrong in our life.
We will stop ourselves whenever we are about to do something wrong.
Beautiful bhajan sung by Mridul Krishan Shastri ji:


कन्हैया ले चल परली पार ,
जहाँ विराजे राधा रानी, जहाँ विराजे महारानी ,
अलबेली सरकार , नैया ले चल परली पार...
(kanhaiya le chal parli paar,
jahan viraaje radha rani, jahan viraaje maharaani,
albeli sarkaar, naiya le chal parli paar)


गुण - अवगुण सब तेरे अर्पण
पाप- पुण्य भी तेरे अर्पण,
ये जीवन भी तेरे अर्पण,
मैं तेरे चरणों की दासी, मेरे प्राण आधार।


तेरी आस लगा बैठी हूँ,
अँखियाँ खूब थका बैठी हूँ,
अपना आप लूटा बैठी हूँ,
सांवरिया मैं तेरी रागनी, तू मेरा मल्हार ।



तेरे बिना कुछ चाह नही है,
कोई सूझती राह नहीं है,
जग की तो परवाह नहीं है,
मेरे प्रीतम, मेरे मांझी , कर दो नैया पार ।


Here is the video link from youtube:


Thursday 25 April 2013

Who is Radha - Description in Hindi


Who is Radha-
Description in Hindi

जो हर पल, हर घड़ी, हर दिन, किशन को याद आती है उसी का नाम है राधा,
वही राधा कहाती है.

जो करती प्यार कान्हा से , नहीं कुछ चाहती बदला मगर उसके इशारे को कभी समझा नहीं पगला जो बंसी की सदा सुनकर चली पनघट पे आती है. !!
उसी का नाम है राधा, वही राधा कहाती है.

वो जिसके प्यार में डूबा कन्हैया भूलता सब कुछ वो जिसके इक इशारे पर कहे मैं, दूँ लुटा सब कुछ वो जिसकी याद रह-रह कर कलेजा चीर जाती है. .!!
उसी का नाम है राधा, वही राधा कहाती है।

नहीं वो दो नहीं , वो एक हैं, बेशक हैं तन से दो है उनका साथ जन्मों का, सदा मिलते जुदा हो-हो वो जिनकी इक जुदाई ही किशन लीला कराती है. .!!
उसी का नाम है राधा, वही राधा कहाती है।

वो जिसके प्यार की सीमा नहीं जाने मुनि ज्ञानी वो जिसके प्यार में खोकर किशन बन जाए अज्ञानी जगत के नाथ को जो अपनी ऊँगली पर नचाती है. .!!
उसी का नाम है राधा, वही राधा कहाती है.

कहा है श्याम ने, मैं पीछे -पीछे चल पडूँ उसके अगर (रा) ही निकल जाए किसी के प्यार से मुख से वो जिसके नाम की धुन श्याम को सेवक बनाती है. .!!
उसी का नाम है राधा, वही राधा कहाती है।

जो भजना है भजो राधा, जो जपना है जपो राधा जगे हो तो भजो राधा , स्वप्न में भी भजो राधा जो खुश हो जाए राधा, श्याम से परिचय कराती है. .!!
उसी का नाम है राधा, वही राधा कहाती है..!!

!!. जय हो युगल सरकार. !!

Tuesday 23 April 2013

Nikunj Kamra- kanda naal galla kara

Bhajan sung by Nikunj Kamra


कंदा नाल गल्ला करां, सांवरे मैं तेरियां,
ज़िन्द मुक गयी, गल्ला मुकियां ना मेरियां
(Kanda naal galla kara, saanwre mein teriyaan,
zind muk gayi, galla mukiyaan na meriyaan)

(i talk to wall, talking about you, my krishna, my life has passed like this, but my talk hasn't finished)

हो, सारी सारी रात मैनू नींद ना आवे,
प्यारे याद तेरी बहुत सतावे,
हो, गमां दियां रातां दाता , लम्बियां लम्बेरियाँ
ज़िन्द मुक गयी, गल्ला मुकियां ना मेरियां...

(I can't sleep whole night,
i remember you whole night, and its like torture to me,
These nights of pain are very long)

हो, कोठे चढ़ चढ़ काग उडावां ,
श्याम सुंदर तेरी बाट निहारां,
हो, मेरी वारी हुन लाईयां कानू दरियां
ज़िन्द मुक गयी, गल्ला मुकियां ना मेरियां...
(I wait for you Shri Krishna, passing my time waiting for you,
Why this delay for me only)

हुन वी ना आये प्यारे, फिर कदों आओगे,
असी वी नी रहना किस्नूं अपना बनाओगे,
हो, पीछे रह जानगियाँ मिटटी दियां ढेरियाँ ,
ज़िन्द मुक गयी, गल्ला मुकियां ना मेरियां...
(You haven't come yet, when you will come,
we will not remain in this world after some time, then whom will you embrace)

Video Link-

Tuesday 16 April 2013

Krishna Gopi story in dwarka


Krishna Gopi Story in dwarka

-



एक बार वासुदेव श्री कृष्ण अत्यंत भावुक मुद्रा में लीन होकर अपनी बांसुरी बजा रहे थे .
तभी उनकी 16,108 पत्नियों में से सत्यभामा और जाम्बवती वहा पहुची … पर श्री कृष्ण इतने लीन थे
अपने विचारों में की उन्हें उनके आगमन का भान ही न था .. उन दोनों ने कृष्ण को पुकारा भी ,उनको विचलि त
करना भी चाह . पर कृष्ण तो जेसे किसी अन्य लोक में खो चुके थे….. दोनों ही पत्नी को अत्यंत दुःख हुआ
की श्री कृष्ण को अपनी पत्नी से बढकर और किसका ध्यान .. तभी श्री नार दमुनी जी वहा प्रकट हुए और 
उन्होंने उन्हें बताया की कृष्ण गोपियों की याद में खोये है ..उसके बाद उन दोनों ने कृष्ण की अत्यंत प्रेम 
,समर्पण के साथ उनकी सेवा की पर कृष्ण पर किसी का कोई असर न हुआ … कान्हा तो अपनी गोपियों क ी गाथा गाते न थकता ..उनकी यादों में आँखे उसकी भर आती …दोनों पत्नियों ने कहा स्वामी यदि आपको हमारे
प्रेम पर संकोच है तो हम आपके लिए अपने प्राण तक देने में भी पीछेनही हटेंगे .. आप जो चाहे
परीक्षा ले ले …. कुछ समय के बाद एक बार श्री कृष्ण को पेट में बहुत पीढ़ा होने लगी .. सभी वैध
का उपचार कराया गया पर कोई आराम उन्हें नहीं मिला …तभी श्री कृष्ण बोले उनकी ये पीढ़ा को दूर
करनेका सिर्फ एक ही उपचार है . अगर उनका कोई भी परमभक्त अपने चरणों की एक चुटकी धूल
का सेवनश्री कृष्ण को करा देगा तो उनकी ये पीढ़ा कम हो जायगी . उन्होंने अपनी पत्नियों से ये
कार्य करने को बोला .. परन्तु उन दोनों ने यह कह कर न बोल दिया की आप हमारे स्वामी है .
अपने चरणों की धूल का सेवन हम आपको कैसे करा सकतेहै .

हम तो घोर पाप में पढ़ जायेंगे इससे …. पुरे द्वारिका मैं ऐलान किया गया इसका पर कोई भी कृष्ण भक्त आगे न आया … सभी राज्यों में संदेशा पहुचाया गया .. पर निराशा हाथ लगी .. कृष्ण ने फिर अपने एक सेवकको ब्रज में भेजा….जब वो सेवक जेसे ही वहा पंहुचा … ब्रज में घाट पर पानी भरती उनकी गोपियों को उनका रथ देख श्री कृष्ण के आनेका अहसास हुआ .. पर समीप आने पर देखा कोई और था .. जब उस सेवक ने
कृष्ण के बारेमें उन्हें बताया तो सभी की आँखों से आंसू रुक नही रहे थे … एक बोली हमारे
स्वामी पीढ़ा में है . तभी मेरा मन कब से भरी हो रहा था … तो दूजी तभी मेरा भी मन
घबरा रहा था ….. सेवक ने जब बताया उन गोपियों को तुरंत वो अपने चरणों की धूल उसे देने तयार हो गयी…. सेवक ने कहा फिर आप लोग पाप की भागिदार हो जाएँगी….
गोपियाँ बोली कैसी बात करते हो तुम .. हमारे कृष्ण पीढ़ा में है .. उन्हें छोढ़कर आप पाप पुण्य के बारेमें
कैसे सोच सकतेहै . अगर हमारे कोई एक पाप करने से हमारे कृष्ण का भला होता है तो हम ऐसा हज़ारों पाप करने को तयार है ..

सभी ने अपने चरणों की धूल अपनी चुनरी में बांध के उसे दे दी ….
और उसकी एक चुटकी धूल का सेवन कृष्ण करते ही पीढ़ा मुक्त हुए …..

जब कृष्ण को ये पता चला की वो धूल उनकी गोपियों ने उन तक पहुचाई ये देख कृष्ण और
उनकी दोनों पत्नियों की आँखे नम हो गयी ….. उन दोनों ने कृष्ण से माफ़ी मांगी श्री कृष्ण बोले मैं
सिर्फ यही दिखाना चाहता था सबको कि यदि कोई व्यक्ति किसी कि भक्ति या प्रेम करे तो उसे
पूरी श्रद्धा से निभाये ..वह अपने प्रेम को उसकी चरम सीमा तक पहुचाये
… अपने प्रेम को निभाते हुए अगर उसे पाप का भी भागीदार बनना पढ़े तो भी वो पीछे न हटे..

सच्चा प्रेम वही है जो हर परिस्थति में अपने प्रेम का साथ देऔर सम्पूर्ण रूप से आत्मसमर्पण करे ..

जो ऐसा करता है उस प्रेम में मैं सदैव निवास  करता हूँ ..

Tuesday 9 April 2013

Who is Vaishnav and Bhajan Mahima


Who is Vaishnav-

वैष्णव कौन है ?
जो कभी भी भगवान की आशा न त्यागे और भगवान को छोड़कर किसी की आशा न रखे ।
भोग, वासना और भक्ति एक साथ नहीं रह सकते । जब तक संसार और उसकी वस्तुओं में रस या आनंद आ रहा है तब तक श्रीभगवत-प्रेम कहाँ ?


Bhajan Mahima -


रोगमुक्त होने के लिये प्रिय न होने पर भी औषधि लेनी होती है क्योंकि हमें विश्वास है कि बिना औषधि के रोग-मुक्त होना संभव नहीं है। औषधि कितनी ही कड़वी क्यों न हो, हम रोग-मुक्त होने तक छोड़ते नहीं है फ़लस्वरूप एक निश्चित समय के बाद औषधि का कड़वापन भी विशेष अनुभव में नहीं आता। हम भी रोगी ही हैं, भव-रोग से ग्रस्त और हमारी औषधि है भगवद-भजन। हमें अभ्यास नहीं है अत: बोझ लगता है पर निरन्तर अभ्यास और प्रभु-कृपा से क्या संभव नहीं है।
पहिले घरों में नल के नीचे सीमेन्ट का फ़र्श होता था और मुहल्लों में हैन्डपंप के। उस पक्के फ़र्श पर घड़ा रखकर जल भरते थे और देखा होगा कि मिट्टी का घड़ा, एक ही स्थान पर रखते-रखते उस स्थान पर एक गोल घेरा, उस पक्के सीमेन्ट में बना देता था। कहाँ तो मिट्टी और कहाँ पक्का सीमेन्ट ? बस नित्य-निरन्तर का अभ्यास और उसकी अगाध करूणा और प्रेम पर विश्वास। वह आयेंगे ही , प्रतीक्षा करना, अधीर न होना। पहिले जन्म-जन्मांतरों के जमे हुए मैल से तो मुक्ति पा लें। हम दर्पण के सामने खड़े होकर दर्पण को ही साफ़ करते रहते हैं, कभी यह नहीं विचारते कि संभव है हमारा चेहरा ही मलिन हो और पहिले उसे साफ़ कर लें।
स्मरण रखना कि पौधा जब छोटा होता है तो उसकी विशेष सार-संभाल करनी होती है कि कहीं उसे कोई पशु न चर जाये, नष्ट न कर दे, जल की नियमित व्यवस्था और विशेष सार-संभाल उसे पल्लवित होने में सहायक होती है और एक समय वह पौधा ऐसा हो जाता है कि उसकी ओर विशेष ध्यान न भी दो तो कोई हानि का अंदेशा नहीं होता।
भजन भी ऐसा ही है। भजन में लगते ही "व्यवहारिक समस्यायें" आती हैं। हमारे दोष, पूर्वजन्म के प्रारब्ध-दोष, सुविधा-असुविधा रूपी भाव हमें रोकते हैं अत: इस समय विशेष सार-संभाल की आवश्यकता है क्योंकि बहुत संभव है कि हमारा कोई दोष रूपी पशु इसे चर जाये। हमारा प्रारब्ध और विकार जानते हैं कि अगर यह पौधा फ़ल-फ़ूल गया तो उन्हें अपने "घर" को छोड़ना होगा और पुराने किरायेदास घर न छॊड़ने के लिये "सब-कुछ" करने को तैयार रहते हैं। लगन, प्रेम और प्रभु कृपा पर दृढ़ विश्वास ही सहायक हैं। सींचो इस भजनरूपी पौधे को इतना कि यह वट-वृक्ष बन जाये और प्रभु के दिये इस अमूल्य जीवन का प्रभु की शरण होकर पूर्ण आनँद लो।
जय जय श्री राधे !

(Shared by Radha Sharan Das ji)

mere baanke bihari laal, tu itna na kariyo shringaar, nazar tohe lag jayegi - bhajan


Bhajan by Nikunj Kamra-

मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,
नज़र तोहे लग जाएगी।
(mere baanke bihari lal, tu itna na kariyo shringaar,
nazar tohe lag jaayegi)

तेरी सुरतिया पे मन मोरा अटका।
प्यारा लागे तेरा पीला पटका।
...तेरी टेढ़ी मेढ़ी चाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,
नज़र तोहे लग जाएगी॥

तेरी मुरलिया पे मन मेरा अटका।
प्यारा लागे तेरा नीला पटका।
तेरे गुंगार वाले बाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,
नज़र तोहे लग जाएगी॥

तेरी कमरिया पे मन मोरा अटका।
प्यारा लागे तेरा काला पटका।
तेरे गल में वैजयंती माल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,

नज़र तोहे लग जाएगी॥

Here is the video link-

 

Inspiring stories - bihari darshan


Nidhivan story-

This story is about a devotee who stayed in Nidhivan in night to see Shri Krishna and gopi doing Raas leela.

एक बार कलकत्ता का एक भक्त अपने गुरु की सुनाई हुई भागवत कथा से इतना मोहित हुआ कि वह हर समय वृन्दावन आने की सोचने लगा उसके गुरु उसे निधिवन के बारे में बताया करते थे और कहते थे किआज भी भगवान यहाँ रात्रि को रास रचाने आते है उस भक्त को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था और एक बार उसने निश्चय किया कि वृन्दावन जाऊंगा और ऐसा ही हुआ श्री राधा रानी की कृपाहुई और आ गया वृन्दावन

उसने जी भर कर बिहारी जी का राधा रानी का दर्शन किया लेकिन अब भी उसे
इस बात का यकीन नहीं था कि निधिवन में रात्रि को भगवान रास रचाते है
उसने सोचा कि एक दिन निधिवन रुक कर देखता हू इसलिए वो वही पर रूक गया और देर तक बैठा रहा और जब शाम होने को आई तब एक पेड़ की लता की आड़ में छिप गया जब शाम के वक़्त वहा के पुजारी निधिवन को खाली करवाने लगे तो उनकी नज़र उस भक्त पर पड गयी और उसे वहा से जाने को कहा तब तो वो भक्त वहा से चला गया लेकिन अगले दिन फिर से वहा जाकर छिप गया और फिर से शाम होते ही पुजारियों द्वारा निकाला गया और आखिर में उसने निधिवन में एक ऐसा कोना खोज निकाला जहा उसे कोई न ढूंढ़ सकता था और वो आँखे मूंदे सारी रात वही निधिवन में बैठा रहा और अगले दिन जब सेविकाए निधिवन में साफ़ सफाई करने आई तो पाया कि एक व्यक्ति बेसुध पड़ा हुआ है और उसके मुह से झाग निकल रहा है तब उन सेविकाओ ने सभी को बताया तो लोगो कि भीड़ वहा पर जमा हो गयी सभी ने उस व्यक्ति से बोलने की कोशिश की लेकिन वो कुछ भी नहीं बोल
रहा था लोगो ने उसे खाने के लिए मिठाई आदि दी लेकिन उसने नहीं ली और ऐसे ही वो ३ दिन तक बिना कुछ खाए पीये ऐसे ही बेसुध पड़ा रहा और ५ दिन बाद उसके गुरु जो कि गोवर्धन में रहते थे बताया गया तब उसके गुरूजी वहा पहुचे और उसे गोवर्धन अपने आश्रम में ले आये आश्रम में भी वो ऐसे
ही रहा

एक दिन सुबह सुबह उस व्यक्ति ने अपने गुरूजी से लिखने के लिए कलम और कागज़ माँगा गुरूजी ने ऐसा ही किया और उसे वो कलम और कागज़ देकर
मानसी गंगा में स्नान करने चले गए जब गुरूजी स्नान करके आश्रम में आये तो पाया कि उस भक्त ने दीवार के सहारे लग कर अपना शरीर त्याग दिया था और उस कागज़ पर कुछ लिखा हुआ था

उस पर लिखा था-
"गुरूजी मैंने यह बात किसी को भी नहीं बताई है, पहले सिर्फ आपको ही बताना चाहता हू , आप कहते थे न कि निधिवन में आज भी भगवान् रास रचाने आते है और मैं आपकी कही बात पर यकीन नहीं करता था,

लेकिन जब मैं निधिवन में रूका तब मैंने साक्षात बांके बिहारी का राधा रानी के साथ गोपियों के साथ रास रचाते हुए दर्शन किया और अब मेरी जीने की कोई भी इच्छा नहीं है ,

इस जीवन का जो लक्ष्य था वो लक्ष्य मैंने प्राप्त कर लिया है और अब मैं जीकर करूँगा भी क्या? श्याम सुन्दर की सुन्दरता के आगे ये दुनिया वालो की सुन्दरता कुछ भी नहीं है,

इसलिए आपके श्री चरणों में मेरा अंतिम प्रणाम स्वीकार कीजिये
" बंधुओ वो पत्र जो उस भक्त ने अपने गुरु के लिए लिखा था आज भी मथुरा के सरकारी संघ्रालय में रखा हुआ है और बंगाली भाषा में लिखा हुआ है"

!!...जय जय श्री राधे...!!

Inspiring stories - Thought about God


Inspiring stories - Thought about God


How our belief in God should be -

एक हवाई जहाज आसमान की ऊंचाइयों में उड
रहा था कि अचानक अपना संतुलन खोकर इधर उधर
लहराने लगा.. सभी यात्री अपनी मृत्यु को समीप
जान डर के मारे चीखने चिल्लाने लगे सिवाय एक
बच्ची के जो मुस्कुराते हुए चुपचाप खिलोने से खेल
रही थी.... कुछ देर बाद हवाई जहाज सकुशल,
सुरक्षित उतरा और यात्रियों ने राहत की साँस
ली.. एक यात्री ने उत्सुकतावश उस बच्ची से पूछा-
"बेटा हम सभी डर के मारे काँप रहे थे पर तुमको डर
नहीं लग रहा था.. ऐसा क्यों ?" बच्ची ने जवाब
दिया- "क्योंकि इस प्लेन के पायलट मेरे पापा हैं..
मैं जानती थी कि वो मुझे कुछ नहीं होने देंगे"
मित्रो, ठीक इसी तरह का विश्वास हमे ईश्वर
पर होना चाहिये.. "परिस्थितियाँ चाहे
कितनी ही विपरीत हो जाऐं पर एक ना एक दिन
सब ठीक हो जाएगा, क्योंकि भगवान हमें कुछ
नहीं होने देंगे ।"

A quote for thakur ji-


जहाँ याद ना आये , वो तन्हाई किस काम की ,
बिगड़े रिश्ते न बने तो , खुदाई किस काम की !
बेशक अपनी मंजिल तक जाना है हमें
पर ,
जहाँ से अपने ना दिखे , वो ऊचाई किस काम
की !!