Wednesday 18 March 2015

Kabhi ruthna na mujhse tu shyam saanwre - awesome bhajan - must listen


Must Listen bhajan



कभी रूठना ना मुझसे तू श्याम सांवरे,
मेरी ज़िन्दगी है अब तेरे नाम सांवरे,

मेरे सांवरे सवेरा तेरे नाम से ,
तेरे नाम से ही ज़िन्दगी की शाम सांवरे।

1.
चिंतन हो सदा इस मन में तेरा,
चरणो में तेरे, मेरा ध्यान रहे,
चाहे दुःख में रहूँ, चाहे सुख में रहूँ,
होंठो पे सदा तेरा नाम रहे,
तेरे नाम से ही मेरी पहचान है,
तेरी सेवा में ही मेरा कल्याण है,

मेरा रोम-रोम तेरा करज़ाई है,
तेरे कितने गिनाउ अहसान सांवरे।

2.
दिल तुमसे लगाना सीखा है,
तुमसे ही सीखा याराना,
जीवन को संवारा है तुमने,
बदले में दू क्या नज़राना,
मैंने दिल हार ये भी तेरी प्रीत है,
मेरी हार में भी श्याम मेरी जीत है,
बस दिल की यही है आरज़ू,
तुझे दिल का बना लू मेहमान सांवरे।

Video Link:

Tuesday 3 March 2015

Shri Baanke Bihari ji se Vinay



विश्व भर के सच्चे उपासको के दिलो में श्री बिहारी जी महाराज के प्रति कितना प्रेम है, यह किसी से छिपा नहीं है। पूरब से भी, पश्चिम से भी, उत्तर से भी और दक्षिण से भी लाखो लाखो व्यक्ति यहाँ आते है और श्री बिहारी जी की बाँकी झांकी के दर्शन करके कृतार्थ हो जाते है। वे सब अलग-अलग मार्गो से आते हैं और पहुँचते है एक श्री बांके बिहारी जी के सामने।
रास्ते सबके जुदा-जुदा हैं, पर मंज़िल सबकी एक है।


जब व्यक्ति बांके बिहारी जी के मंदिर पहुँचता है, बहुत देर तक खड़ा खड़ा श्री बांके बिहारी की इस बाँकी छवि को निहारता है, इसे अपने ह्रदय पटल पर उतारने का प्रयास करता रहता है। यदि उतार पाता है तो सदा सदा के लिए इनका होकर रह जाता है, यदि नहीं , तो जिस रास्ते से आया है, उसके सामने वाले रास्ते से निकल जाता है, फिर वही चला जाता है, जहाँ से आया है।
फिर वही भोगवाद , वही दौड़ धुप , वही भटकन, वही लम्बा रास्ता , वही थकान भरा सफर।


फिर कभी मौका लगता है तो वह दोबारा भी जाने की कोशिश करता है। इस बार फिर वे ही रास्ते , वे ही दुकाने , वे ही लम्बी- संकरी गलिया, वे ही जन-प्रवाह, वे ही बांके बिहारी , वे ही बांके दर्शन। बांके को अपना बना लेने का फिर एक बांका क्षण। इस बार फिर चूक गए तो फिर वही आना जाना।

रास्ते बहुत है बिहारी जी तक पहुँचने के। सारे रास्ते सही है, अंतर है तो केवल कुछ रास्ते लम्बे है, कुछ छोटे है, कुछ सीधे है, कुछ घूम फिर कर मंज़िल तक जाते है। किन्तु ध्यान रखना होगा कोई भी रास्ता मंज़िल नहीं। मंज़िल तक वही पहुँच सकता है , जो रास्ते को छोड़ सके। जो रास्ते पर ही रीझा है, रास्ते पर ही आसक्त है, वह कभी मंज़िल तक नहीं पहुँच सकता।


जब तक साधक के मन में कामनाओ का जमघट है , तब तक वह राह को छोड़ कर मंज़िल को नहीं पकड़ सकता।
आईये हम भी युगल सरकार से विनय करें, की वो अपनी कृपा दृष्टि हम पर बरसायें:


श्री राधे अब तो दया करो,
हे किशोरी अब तो दया करो,
मेरी शयामा अब तो दया करो।


1. अब तो बन गयी विषयन दासी ,
अपनों कर शीश करो।


2. वृन्दावन रस बरसत नाही ,
(क्यों रस नहीं बरस रहा, क्यूंकि )
मन छल दंभ भरो।


Radhe - Radhe