Sunday, 1 September 2013

naa jee bhar ke dekha naa kucch baat ki - Vinod Agarwal ji

Vinod Agarwal ji bhajan-

Naa jee bhar ke dekha, naa kuch baat ki
badi aarju thi mulaakat ki.


Bhajan ke kahne ka abhipray ye hai ki, hum aapse milna chahte hai.
Aapko dekhna chahte hai.
This bhajan need to be listened to feel the pain of a bhakt.

ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात की ।

करो दृष्टि  अब तो प्रभु करुणा की,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात की ।

१) गए जब से मथुरा वो मोहन मुरारी,
सभी गोपियाँ ब्रिज में व्याकुल थी भारी,
कहाँ दिन बिताया , कहाँ रात थी,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।

२) चले आओ अब तो ओ प्यारे कन्हैया,
ये सूनी है कुंजन और व्याकुल है गैया,
सुना दो इन्हें अब तो धुन मुरली की ,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।

(शबनम से क्या फूल खिले, जब तक बरसात ना हो,
तेरी तस्वीर से क्या दिल भरे, जब तक मुलाक़ात ना हो )

३) हम बैठे है ग़म उनका दिल में ही पाले,
भला ऐसे में खुद को कैसे संभाले ,
ना उनकी सुनी, ना कुछ अपनी कही,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।
(We have your sorrow in our heart,
How do we control ourselves in such a situation)

४) तेरा मुस्कराना भला कैसे  भूले,
वो कदमन की छैया, वो सावन के झूले,
ना कोयल की कू-कू, ना पपीहा की पी,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।
(How can we forget your smile, saavan swings,
We always yearn for meeting with you )

५) तमन्ना  यही थी की आयेंगे मोहन,
मैं चरणों में वारुंगी तन-मन ये जीवन,
हाय मेरा कैसा ये बिगड़ा नसीब,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।
(We always have longed that you will come,
i will devote everything to you,
but it seems i am not that lucky)


Is yogya hum kaha hai tumko prabhu manaye bhajan

Bhajan-
Very Beautiful bhajan.
Kahne ka abhipray yah hai ki jab bhi hum is dharti par aate hai, hum hamesha sukh, vishay, jalan aur maya ke chakkar mein pad jaate hai, aur bhagwaan ko bhool jate hai.
Isliye hum is yogya nahi hai ki tumko manayein.

Is yogya hum kaha hai tumko prabhu manaye


इस योग्य हम कहाँ है, तुमको प्रभु मनाये
फिर भी रिझा रहे है, शायद तो मान जाए ।
(We are not worthy enough to be accepted by you,
still we are trying, may be you will accept us)

१) निश्चय ही हम पतित है, लोभी है, स्वार्थी है,
तेरा नाम जब पुकारे, माया पुकारती है ,
सुख भोगने की इच्छा कभी तृप्त हो ना पाए ।
(Surely we are degraded, selfish,
Whenever we call you(take your name), it is actually Maya(delusion) which calls you,
We never feel satisfied with these perishable things)

२) जब-जब जन्म लिया है, विषयों ने हमको घेरा,
छल और कपट ने डाला, इस भोले मन पे डेरा,
सद्बुद्धि को तो हमने सदा रखा दबाये ।
(Whenever we are born in this world, subjective things surround us,
Fraud camped on our naive mind,
We have always kept our wisdom aside)

३) जग में जहां भी देखा, बस एक ही चलन है,
हर दुसरे के सुख पे , खुद को बड़ी जलन है,
कर्मों का लेखा-जोखा कोई समझ ना पाए ।
(Wherever i see in this world, there is one trend going on,
we always envy others happiness)

४) जब कुछ ना कर सके तो तेरी शरण में आये ,
अपराध मानते है , भोगेंगे सब सजाएं,
इक दर्श तो दिखा दे, कुछ और हम ना चाहे ।
(when we are not able to do anything , we have come to you,
We are guilty, and ready to face the punishment)