Sunday, 1 September 2013

naa jee bhar ke dekha naa kucch baat ki - Vinod Agarwal ji

Vinod Agarwal ji bhajan-

Naa jee bhar ke dekha, naa kuch baat ki
badi aarju thi mulaakat ki.


Bhajan ke kahne ka abhipray ye hai ki, hum aapse milna chahte hai.
Aapko dekhna chahte hai.
This bhajan need to be listened to feel the pain of a bhakt.

ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात की ।

करो दृष्टि  अब तो प्रभु करुणा की,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात की ।

१) गए जब से मथुरा वो मोहन मुरारी,
सभी गोपियाँ ब्रिज में व्याकुल थी भारी,
कहाँ दिन बिताया , कहाँ रात थी,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।

२) चले आओ अब तो ओ प्यारे कन्हैया,
ये सूनी है कुंजन और व्याकुल है गैया,
सुना दो इन्हें अब तो धुन मुरली की ,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।

(शबनम से क्या फूल खिले, जब तक बरसात ना हो,
तेरी तस्वीर से क्या दिल भरे, जब तक मुलाक़ात ना हो )

३) हम बैठे है ग़म उनका दिल में ही पाले,
भला ऐसे में खुद को कैसे संभाले ,
ना उनकी सुनी, ना कुछ अपनी कही,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।
(We have your sorrow in our heart,
How do we control ourselves in such a situation)

४) तेरा मुस्कराना भला कैसे  भूले,
वो कदमन की छैया, वो सावन के झूले,
ना कोयल की कू-कू, ना पपीहा की पी,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।
(How can we forget your smile, saavan swings,
We always yearn for meeting with you )

५) तमन्ना  यही थी की आयेंगे मोहन,
मैं चरणों में वारुंगी तन-मन ये जीवन,
हाय मेरा कैसा ये बिगड़ा नसीब,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।
(We always have longed that you will come,
i will devote everything to you,
but it seems i am not that lucky)


Is yogya hum kaha hai tumko prabhu manaye bhajan

Bhajan-
Very Beautiful bhajan.
Kahne ka abhipray yah hai ki jab bhi hum is dharti par aate hai, hum hamesha sukh, vishay, jalan aur maya ke chakkar mein pad jaate hai, aur bhagwaan ko bhool jate hai.
Isliye hum is yogya nahi hai ki tumko manayein.

Is yogya hum kaha hai tumko prabhu manaye


इस योग्य हम कहाँ है, तुमको प्रभु मनाये
फिर भी रिझा रहे है, शायद तो मान जाए ।
(We are not worthy enough to be accepted by you,
still we are trying, may be you will accept us)

१) निश्चय ही हम पतित है, लोभी है, स्वार्थी है,
तेरा नाम जब पुकारे, माया पुकारती है ,
सुख भोगने की इच्छा कभी तृप्त हो ना पाए ।
(Surely we are degraded, selfish,
Whenever we call you(take your name), it is actually Maya(delusion) which calls you,
We never feel satisfied with these perishable things)

२) जब-जब जन्म लिया है, विषयों ने हमको घेरा,
छल और कपट ने डाला, इस भोले मन पे डेरा,
सद्बुद्धि को तो हमने सदा रखा दबाये ।
(Whenever we are born in this world, subjective things surround us,
Fraud camped on our naive mind,
We have always kept our wisdom aside)

३) जग में जहां भी देखा, बस एक ही चलन है,
हर दुसरे के सुख पे , खुद को बड़ी जलन है,
कर्मों का लेखा-जोखा कोई समझ ना पाए ।
(Wherever i see in this world, there is one trend going on,
we always envy others happiness)

४) जब कुछ ना कर सके तो तेरी शरण में आये ,
अपराध मानते है , भोगेंगे सब सजाएं,
इक दर्श तो दिखा दे, कुछ और हम ना चाहे ।
(when we are not able to do anything , we have come to you,
We are guilty, and ready to face the punishment)

Thursday, 20 June 2013

Sankirtan by Vinod Agarwal ji

Sankirtan-

गोविन्द गोविन्द गोपाल नन्दलाल,
कृष्ण गोविन्द गोविन्द गोपाल नन्दलाल ।

हे गोपाल नन्दलाल, हे गोपाल नन्दलाल ।
हे गोपाल नन्दलाल, हे गोपाल नन्दलाल ।।

Link-

vinod agarwal bhajan - chhupe baithe ho kan kan mein

Beautiful bhajan by Vinod agarwal ji-

This is very beautiful bhajan by vinod ji.
This bhajan is kind of challenge to God.
It is challenged to God that you will have to break the my shackles so that i can see you.


छुपे बैठे हो कण कण में
भला मैं कैसे पहचानू?

दुई(द्वेष) का दूर कर पर्दा ,
सामने आओ तो जानूं ।
(You are everwhere, how do i recognize you,
if you can remove this curtain between you and me and come in front of me, then i can believe you)

(When we challenge someone that you cannot do this and you are ashamed of this  i.e. instigate someone, sometimes person gets motivated and does the same thing, this bhajan is sung is same tone in playful manner)

१. छुपे माया के परदे में, क्या मुझसे शर्म आती है ,
ये घूँघट दरमियाँ पर्दा हटा दोगे मैं जानू  ।

(you are hiding from me, are you ashamed of me?
if you are remove this curtain between us, then i can believe you)

२. सुना है चाहने वालो से, हसीनो से हसी हो तुम,
तो चेहरे से ज़रा चिलमन उठा दोगे तो मैं जानू ।

means-
(i just keep listening about you, that you are so beautiful etc etc,
upto when, i will keep only listening about you and not see you)

३. ये सूरज चाँद से ज्यादा , अजब जो नूर है तेरा ,
मेरे दिल में वही ज्योति , जगा दोगे तो मैं जानू  ।

४. अँधेरी रात तक भी दूर, नैया भी भंवर में है ,
मेरी नैया किनारे लगा दोगे तो मैं जानू  ।


Here is the video link-



Monday, 29 April 2013

naiya le chal parli paar - mridul krishan shastri ji

Naiya le chal parli paar, jahan biraaje radha rani


Radhe Radhe,
Devotees, we just need to devote our every action to Krishna.
Whatever you do, just devote to Krishna.
In this way, we can do nothing wrong in our life.
We will stop ourselves whenever we are about to do something wrong.
Beautiful bhajan sung by Mridul Krishan Shastri ji:


कन्हैया ले चल परली पार ,
जहाँ विराजे राधा रानी, जहाँ विराजे महारानी ,
अलबेली सरकार , नैया ले चल परली पार...
(kanhaiya le chal parli paar,
jahan viraaje radha rani, jahan viraaje maharaani,
albeli sarkaar, naiya le chal parli paar)


गुण - अवगुण सब तेरे अर्पण
पाप- पुण्य भी तेरे अर्पण,
ये जीवन भी तेरे अर्पण,
मैं तेरे चरणों की दासी, मेरे प्राण आधार।


तेरी आस लगा बैठी हूँ,
अँखियाँ खूब थका बैठी हूँ,
अपना आप लूटा बैठी हूँ,
सांवरिया मैं तेरी रागनी, तू मेरा मल्हार ।



तेरे बिना कुछ चाह नही है,
कोई सूझती राह नहीं है,
जग की तो परवाह नहीं है,
मेरे प्रीतम, मेरे मांझी , कर दो नैया पार ।


Here is the video link from youtube:


Thursday, 25 April 2013

Who is Radha - Description in Hindi


Who is Radha-
Description in Hindi

जो हर पल, हर घड़ी, हर दिन, किशन को याद आती है उसी का नाम है राधा,
वही राधा कहाती है.

जो करती प्यार कान्हा से , नहीं कुछ चाहती बदला मगर उसके इशारे को कभी समझा नहीं पगला जो बंसी की सदा सुनकर चली पनघट पे आती है. !!
उसी का नाम है राधा, वही राधा कहाती है.

वो जिसके प्यार में डूबा कन्हैया भूलता सब कुछ वो जिसके इक इशारे पर कहे मैं, दूँ लुटा सब कुछ वो जिसकी याद रह-रह कर कलेजा चीर जाती है. .!!
उसी का नाम है राधा, वही राधा कहाती है।

नहीं वो दो नहीं , वो एक हैं, बेशक हैं तन से दो है उनका साथ जन्मों का, सदा मिलते जुदा हो-हो वो जिनकी इक जुदाई ही किशन लीला कराती है. .!!
उसी का नाम है राधा, वही राधा कहाती है।

वो जिसके प्यार की सीमा नहीं जाने मुनि ज्ञानी वो जिसके प्यार में खोकर किशन बन जाए अज्ञानी जगत के नाथ को जो अपनी ऊँगली पर नचाती है. .!!
उसी का नाम है राधा, वही राधा कहाती है.

कहा है श्याम ने, मैं पीछे -पीछे चल पडूँ उसके अगर (रा) ही निकल जाए किसी के प्यार से मुख से वो जिसके नाम की धुन श्याम को सेवक बनाती है. .!!
उसी का नाम है राधा, वही राधा कहाती है।

जो भजना है भजो राधा, जो जपना है जपो राधा जगे हो तो भजो राधा , स्वप्न में भी भजो राधा जो खुश हो जाए राधा, श्याम से परिचय कराती है. .!!
उसी का नाम है राधा, वही राधा कहाती है..!!

!!. जय हो युगल सरकार. !!

Tuesday, 23 April 2013

Nikunj Kamra- kanda naal galla kara

Bhajan sung by Nikunj Kamra


कंदा नाल गल्ला करां, सांवरे मैं तेरियां,
ज़िन्द मुक गयी, गल्ला मुकियां ना मेरियां
(Kanda naal galla kara, saanwre mein teriyaan,
zind muk gayi, galla mukiyaan na meriyaan)

(i talk to wall, talking about you, my krishna, my life has passed like this, but my talk hasn't finished)

हो, सारी सारी रात मैनू नींद ना आवे,
प्यारे याद तेरी बहुत सतावे,
हो, गमां दियां रातां दाता , लम्बियां लम्बेरियाँ
ज़िन्द मुक गयी, गल्ला मुकियां ना मेरियां...

(I can't sleep whole night,
i remember you whole night, and its like torture to me,
These nights of pain are very long)

हो, कोठे चढ़ चढ़ काग उडावां ,
श्याम सुंदर तेरी बाट निहारां,
हो, मेरी वारी हुन लाईयां कानू दरियां
ज़िन्द मुक गयी, गल्ला मुकियां ना मेरियां...
(I wait for you Shri Krishna, passing my time waiting for you,
Why this delay for me only)

हुन वी ना आये प्यारे, फिर कदों आओगे,
असी वी नी रहना किस्नूं अपना बनाओगे,
हो, पीछे रह जानगियाँ मिटटी दियां ढेरियाँ ,
ज़िन्द मुक गयी, गल्ला मुकियां ना मेरियां...
(You haven't come yet, when you will come,
we will not remain in this world after some time, then whom will you embrace)

Video Link-

Tuesday, 16 April 2013

Krishna Gopi story in dwarka


Krishna Gopi Story in dwarka

-



एक बार वासुदेव श्री कृष्ण अत्यंत भावुक मुद्रा में लीन होकर अपनी बांसुरी बजा रहे थे .
तभी उनकी 16,108 पत्नियों में से सत्यभामा और जाम्बवती वहा पहुची … पर श्री कृष्ण इतने लीन थे
अपने विचारों में की उन्हें उनके आगमन का भान ही न था .. उन दोनों ने कृष्ण को पुकारा भी ,उनको विचलि त
करना भी चाह . पर कृष्ण तो जेसे किसी अन्य लोक में खो चुके थे….. दोनों ही पत्नी को अत्यंत दुःख हुआ
की श्री कृष्ण को अपनी पत्नी से बढकर और किसका ध्यान .. तभी श्री नार दमुनी जी वहा प्रकट हुए और 
उन्होंने उन्हें बताया की कृष्ण गोपियों की याद में खोये है ..उसके बाद उन दोनों ने कृष्ण की अत्यंत प्रेम 
,समर्पण के साथ उनकी सेवा की पर कृष्ण पर किसी का कोई असर न हुआ … कान्हा तो अपनी गोपियों क ी गाथा गाते न थकता ..उनकी यादों में आँखे उसकी भर आती …दोनों पत्नियों ने कहा स्वामी यदि आपको हमारे
प्रेम पर संकोच है तो हम आपके लिए अपने प्राण तक देने में भी पीछेनही हटेंगे .. आप जो चाहे
परीक्षा ले ले …. कुछ समय के बाद एक बार श्री कृष्ण को पेट में बहुत पीढ़ा होने लगी .. सभी वैध
का उपचार कराया गया पर कोई आराम उन्हें नहीं मिला …तभी श्री कृष्ण बोले उनकी ये पीढ़ा को दूर
करनेका सिर्फ एक ही उपचार है . अगर उनका कोई भी परमभक्त अपने चरणों की एक चुटकी धूल
का सेवनश्री कृष्ण को करा देगा तो उनकी ये पीढ़ा कम हो जायगी . उन्होंने अपनी पत्नियों से ये
कार्य करने को बोला .. परन्तु उन दोनों ने यह कह कर न बोल दिया की आप हमारे स्वामी है .
अपने चरणों की धूल का सेवन हम आपको कैसे करा सकतेहै .

हम तो घोर पाप में पढ़ जायेंगे इससे …. पुरे द्वारिका मैं ऐलान किया गया इसका पर कोई भी कृष्ण भक्त आगे न आया … सभी राज्यों में संदेशा पहुचाया गया .. पर निराशा हाथ लगी .. कृष्ण ने फिर अपने एक सेवकको ब्रज में भेजा….जब वो सेवक जेसे ही वहा पंहुचा … ब्रज में घाट पर पानी भरती उनकी गोपियों को उनका रथ देख श्री कृष्ण के आनेका अहसास हुआ .. पर समीप आने पर देखा कोई और था .. जब उस सेवक ने
कृष्ण के बारेमें उन्हें बताया तो सभी की आँखों से आंसू रुक नही रहे थे … एक बोली हमारे
स्वामी पीढ़ा में है . तभी मेरा मन कब से भरी हो रहा था … तो दूजी तभी मेरा भी मन
घबरा रहा था ….. सेवक ने जब बताया उन गोपियों को तुरंत वो अपने चरणों की धूल उसे देने तयार हो गयी…. सेवक ने कहा फिर आप लोग पाप की भागिदार हो जाएँगी….
गोपियाँ बोली कैसी बात करते हो तुम .. हमारे कृष्ण पीढ़ा में है .. उन्हें छोढ़कर आप पाप पुण्य के बारेमें
कैसे सोच सकतेहै . अगर हमारे कोई एक पाप करने से हमारे कृष्ण का भला होता है तो हम ऐसा हज़ारों पाप करने को तयार है ..

सभी ने अपने चरणों की धूल अपनी चुनरी में बांध के उसे दे दी ….
और उसकी एक चुटकी धूल का सेवन कृष्ण करते ही पीढ़ा मुक्त हुए …..

जब कृष्ण को ये पता चला की वो धूल उनकी गोपियों ने उन तक पहुचाई ये देख कृष्ण और
उनकी दोनों पत्नियों की आँखे नम हो गयी ….. उन दोनों ने कृष्ण से माफ़ी मांगी श्री कृष्ण बोले मैं
सिर्फ यही दिखाना चाहता था सबको कि यदि कोई व्यक्ति किसी कि भक्ति या प्रेम करे तो उसे
पूरी श्रद्धा से निभाये ..वह अपने प्रेम को उसकी चरम सीमा तक पहुचाये
… अपने प्रेम को निभाते हुए अगर उसे पाप का भी भागीदार बनना पढ़े तो भी वो पीछे न हटे..

सच्चा प्रेम वही है जो हर परिस्थति में अपने प्रेम का साथ देऔर सम्पूर्ण रूप से आत्मसमर्पण करे ..

जो ऐसा करता है उस प्रेम में मैं सदैव निवास  करता हूँ ..

Tuesday, 9 April 2013

Who is Vaishnav and Bhajan Mahima


Who is Vaishnav-

वैष्णव कौन है ?
जो कभी भी भगवान की आशा न त्यागे और भगवान को छोड़कर किसी की आशा न रखे ।
भोग, वासना और भक्ति एक साथ नहीं रह सकते । जब तक संसार और उसकी वस्तुओं में रस या आनंद आ रहा है तब तक श्रीभगवत-प्रेम कहाँ ?


Bhajan Mahima -


रोगमुक्त होने के लिये प्रिय न होने पर भी औषधि लेनी होती है क्योंकि हमें विश्वास है कि बिना औषधि के रोग-मुक्त होना संभव नहीं है। औषधि कितनी ही कड़वी क्यों न हो, हम रोग-मुक्त होने तक छोड़ते नहीं है फ़लस्वरूप एक निश्चित समय के बाद औषधि का कड़वापन भी विशेष अनुभव में नहीं आता। हम भी रोगी ही हैं, भव-रोग से ग्रस्त और हमारी औषधि है भगवद-भजन। हमें अभ्यास नहीं है अत: बोझ लगता है पर निरन्तर अभ्यास और प्रभु-कृपा से क्या संभव नहीं है।
पहिले घरों में नल के नीचे सीमेन्ट का फ़र्श होता था और मुहल्लों में हैन्डपंप के। उस पक्के फ़र्श पर घड़ा रखकर जल भरते थे और देखा होगा कि मिट्टी का घड़ा, एक ही स्थान पर रखते-रखते उस स्थान पर एक गोल घेरा, उस पक्के सीमेन्ट में बना देता था। कहाँ तो मिट्टी और कहाँ पक्का सीमेन्ट ? बस नित्य-निरन्तर का अभ्यास और उसकी अगाध करूणा और प्रेम पर विश्वास। वह आयेंगे ही , प्रतीक्षा करना, अधीर न होना। पहिले जन्म-जन्मांतरों के जमे हुए मैल से तो मुक्ति पा लें। हम दर्पण के सामने खड़े होकर दर्पण को ही साफ़ करते रहते हैं, कभी यह नहीं विचारते कि संभव है हमारा चेहरा ही मलिन हो और पहिले उसे साफ़ कर लें।
स्मरण रखना कि पौधा जब छोटा होता है तो उसकी विशेष सार-संभाल करनी होती है कि कहीं उसे कोई पशु न चर जाये, नष्ट न कर दे, जल की नियमित व्यवस्था और विशेष सार-संभाल उसे पल्लवित होने में सहायक होती है और एक समय वह पौधा ऐसा हो जाता है कि उसकी ओर विशेष ध्यान न भी दो तो कोई हानि का अंदेशा नहीं होता।
भजन भी ऐसा ही है। भजन में लगते ही "व्यवहारिक समस्यायें" आती हैं। हमारे दोष, पूर्वजन्म के प्रारब्ध-दोष, सुविधा-असुविधा रूपी भाव हमें रोकते हैं अत: इस समय विशेष सार-संभाल की आवश्यकता है क्योंकि बहुत संभव है कि हमारा कोई दोष रूपी पशु इसे चर जाये। हमारा प्रारब्ध और विकार जानते हैं कि अगर यह पौधा फ़ल-फ़ूल गया तो उन्हें अपने "घर" को छोड़ना होगा और पुराने किरायेदास घर न छॊड़ने के लिये "सब-कुछ" करने को तैयार रहते हैं। लगन, प्रेम और प्रभु कृपा पर दृढ़ विश्वास ही सहायक हैं। सींचो इस भजनरूपी पौधे को इतना कि यह वट-वृक्ष बन जाये और प्रभु के दिये इस अमूल्य जीवन का प्रभु की शरण होकर पूर्ण आनँद लो।
जय जय श्री राधे !

(Shared by Radha Sharan Das ji)

mere baanke bihari laal, tu itna na kariyo shringaar, nazar tohe lag jayegi - bhajan


Bhajan by Nikunj Kamra-

मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,
नज़र तोहे लग जाएगी।
(mere baanke bihari lal, tu itna na kariyo shringaar,
nazar tohe lag jaayegi)

तेरी सुरतिया पे मन मोरा अटका।
प्यारा लागे तेरा पीला पटका।
...तेरी टेढ़ी मेढ़ी चाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,
नज़र तोहे लग जाएगी॥

तेरी मुरलिया पे मन मेरा अटका।
प्यारा लागे तेरा नीला पटका।
तेरे गुंगार वाले बाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,
नज़र तोहे लग जाएगी॥

तेरी कमरिया पे मन मोरा अटका।
प्यारा लागे तेरा काला पटका।
तेरे गल में वैजयंती माल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,

नज़र तोहे लग जाएगी॥

Here is the video link-

 

Inspiring stories - bihari darshan


Nidhivan story-

This story is about a devotee who stayed in Nidhivan in night to see Shri Krishna and gopi doing Raas leela.

एक बार कलकत्ता का एक भक्त अपने गुरु की सुनाई हुई भागवत कथा से इतना मोहित हुआ कि वह हर समय वृन्दावन आने की सोचने लगा उसके गुरु उसे निधिवन के बारे में बताया करते थे और कहते थे किआज भी भगवान यहाँ रात्रि को रास रचाने आते है उस भक्त को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था और एक बार उसने निश्चय किया कि वृन्दावन जाऊंगा और ऐसा ही हुआ श्री राधा रानी की कृपाहुई और आ गया वृन्दावन

उसने जी भर कर बिहारी जी का राधा रानी का दर्शन किया लेकिन अब भी उसे
इस बात का यकीन नहीं था कि निधिवन में रात्रि को भगवान रास रचाते है
उसने सोचा कि एक दिन निधिवन रुक कर देखता हू इसलिए वो वही पर रूक गया और देर तक बैठा रहा और जब शाम होने को आई तब एक पेड़ की लता की आड़ में छिप गया जब शाम के वक़्त वहा के पुजारी निधिवन को खाली करवाने लगे तो उनकी नज़र उस भक्त पर पड गयी और उसे वहा से जाने को कहा तब तो वो भक्त वहा से चला गया लेकिन अगले दिन फिर से वहा जाकर छिप गया और फिर से शाम होते ही पुजारियों द्वारा निकाला गया और आखिर में उसने निधिवन में एक ऐसा कोना खोज निकाला जहा उसे कोई न ढूंढ़ सकता था और वो आँखे मूंदे सारी रात वही निधिवन में बैठा रहा और अगले दिन जब सेविकाए निधिवन में साफ़ सफाई करने आई तो पाया कि एक व्यक्ति बेसुध पड़ा हुआ है और उसके मुह से झाग निकल रहा है तब उन सेविकाओ ने सभी को बताया तो लोगो कि भीड़ वहा पर जमा हो गयी सभी ने उस व्यक्ति से बोलने की कोशिश की लेकिन वो कुछ भी नहीं बोल
रहा था लोगो ने उसे खाने के लिए मिठाई आदि दी लेकिन उसने नहीं ली और ऐसे ही वो ३ दिन तक बिना कुछ खाए पीये ऐसे ही बेसुध पड़ा रहा और ५ दिन बाद उसके गुरु जो कि गोवर्धन में रहते थे बताया गया तब उसके गुरूजी वहा पहुचे और उसे गोवर्धन अपने आश्रम में ले आये आश्रम में भी वो ऐसे
ही रहा

एक दिन सुबह सुबह उस व्यक्ति ने अपने गुरूजी से लिखने के लिए कलम और कागज़ माँगा गुरूजी ने ऐसा ही किया और उसे वो कलम और कागज़ देकर
मानसी गंगा में स्नान करने चले गए जब गुरूजी स्नान करके आश्रम में आये तो पाया कि उस भक्त ने दीवार के सहारे लग कर अपना शरीर त्याग दिया था और उस कागज़ पर कुछ लिखा हुआ था

उस पर लिखा था-
"गुरूजी मैंने यह बात किसी को भी नहीं बताई है, पहले सिर्फ आपको ही बताना चाहता हू , आप कहते थे न कि निधिवन में आज भी भगवान् रास रचाने आते है और मैं आपकी कही बात पर यकीन नहीं करता था,

लेकिन जब मैं निधिवन में रूका तब मैंने साक्षात बांके बिहारी का राधा रानी के साथ गोपियों के साथ रास रचाते हुए दर्शन किया और अब मेरी जीने की कोई भी इच्छा नहीं है ,

इस जीवन का जो लक्ष्य था वो लक्ष्य मैंने प्राप्त कर लिया है और अब मैं जीकर करूँगा भी क्या? श्याम सुन्दर की सुन्दरता के आगे ये दुनिया वालो की सुन्दरता कुछ भी नहीं है,

इसलिए आपके श्री चरणों में मेरा अंतिम प्रणाम स्वीकार कीजिये
" बंधुओ वो पत्र जो उस भक्त ने अपने गुरु के लिए लिखा था आज भी मथुरा के सरकारी संघ्रालय में रखा हुआ है और बंगाली भाषा में लिखा हुआ है"

!!...जय जय श्री राधे...!!

Inspiring stories - Thought about God


Inspiring stories - Thought about God


How our belief in God should be -

एक हवाई जहाज आसमान की ऊंचाइयों में उड
रहा था कि अचानक अपना संतुलन खोकर इधर उधर
लहराने लगा.. सभी यात्री अपनी मृत्यु को समीप
जान डर के मारे चीखने चिल्लाने लगे सिवाय एक
बच्ची के जो मुस्कुराते हुए चुपचाप खिलोने से खेल
रही थी.... कुछ देर बाद हवाई जहाज सकुशल,
सुरक्षित उतरा और यात्रियों ने राहत की साँस
ली.. एक यात्री ने उत्सुकतावश उस बच्ची से पूछा-
"बेटा हम सभी डर के मारे काँप रहे थे पर तुमको डर
नहीं लग रहा था.. ऐसा क्यों ?" बच्ची ने जवाब
दिया- "क्योंकि इस प्लेन के पायलट मेरे पापा हैं..
मैं जानती थी कि वो मुझे कुछ नहीं होने देंगे"
मित्रो, ठीक इसी तरह का विश्वास हमे ईश्वर
पर होना चाहिये.. "परिस्थितियाँ चाहे
कितनी ही विपरीत हो जाऐं पर एक ना एक दिन
सब ठीक हो जाएगा, क्योंकि भगवान हमें कुछ
नहीं होने देंगे ।"

A quote for thakur ji-


जहाँ याद ना आये , वो तन्हाई किस काम की ,
बिगड़े रिश्ते न बने तो , खुदाई किस काम की !
बेशक अपनी मंजिल तक जाना है हमें
पर ,
जहाँ से अपने ना दिखे , वो ऊचाई किस काम
की !!

Sunday, 31 March 2013

Ram krishna bhajan - this is how our senses should be(by Gaurav Krishna Goswami ji)

Ram Krishna bhajan


This is how our senses should be:

चाहे लख लख बात बनाईये , मुख सोना(beautiful) नही लगदा राम बिना ।
चाहे लख लख बात बनाईये , मुख सोना नही लगदा श्याम बिना ।
(chahe lakh lakh baat banaiye, mukh sona nahi lagda raam bina)

अंख सोनी नहीं प्रभु दे दर्श बिना, 
चाहे लख लख काजल पाईये , मुख सोना नही लगदा राम बिना...

कान सोने नही प्रभु की कथा बिना,
चाहे लख लख कुण्डला पाईये, मुख सोना नही लगदा राम बिना...

काया सोनी नही लगदी भजन बिना,
चाहे मल मल रोज़ नहाइए, मुख सोना नही लगदा राम बिना...

पग सोने नही वृन्दावन जाए बिना,
चाहे जग सारा  घूम आईये,  मुख सोना नही लगदा राम बिना...


Here is the video link-

very beautiful bhajan - kurbaan kyun naa jau, darbaar hai niraala


Kurbaan kyun na jau, darbaar hai niraala


This is very beautiful bhajan. This bhajan is sung is very touching tune..do listen
Lyrics-

कुर्बान क्यूँ ना जाऊ, दरबार है निराला ।
ठकुरानी राधा प्यारी, ठाकुर है नन्द लाला ।।
(Why i should not sacrifice myself to radha-krishna, they are out of this world,
Radharani is thakurani, Nand-Lal is thakur)

क्या खूब सज रही है, झूले में राधा रानी ।
झूला झूला रहे है, हँस हँस के नन्द लाला ।।

सखियों  के संग दोनों, रास रचा रहे है,
इस ओर राधा रानी, उस ओर नन्द लाला ।।

कुर्बान क्यूँ ना जाऊ, दरबार है निराला ...

क्या पूछते हो हमसे, पहचान उनकी क्या है ,
सिर पे मुकुट पे है बाँधा और श्याम रंग निराला ।।

बांके की छवि है बांकी, चितवन भी उनका बांका,
ये नयन कमल है बांके, बांका है नन्द लाला ।।

राधे राधे राधे राधे , गोविन्द राधे, गोपाल राधे  ।।

Here is the video link-

Tuesday, 26 March 2013

(Hindi font) Holi songs Krishna

Jai Shri Krishna,


Hindi Krishna bhajan-

aaj brij mein hori re rasiyaa,
hori re hori re barjori re rasiya.


आज बिरज में होरी रे रसिया,
आज बिरज में होरी रे रसिया।
होरी रे होरी रे बरजोरी रे रसिया।

घर घर से ब्रज बनिता आई,
कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया।
आज बिरज में होरी रे रसीया

इत तें आये कुंवर कन्हाई,
उत तें आईं राधा गोरी रे रसिया।
आज बिरज मे होरी रे रसिया।

कोई लावे चोवा कोई लावे चंदन,
कोई मले मुख रोरी रे रसिया ।
आज बिरज में होरी रे रसिया,

उडत गुलाल लाल भये बदरा,
मारत भर भर झोरी रे रसिया ।
आज बिरज में होरी रे रसिया।

चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण प्रभु,
चिर जीवो यह जोडी रे रसिया ।
आज बिरज में होरी रे रसिया।
होरी रे होरी रे बरजोरी रे रसिया।

जय जय श्री राधे कृष्णा

One more awseome bhajan I have added in this post..

श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया,
(Shyaam piyaa mori rang de chunariyaa)

लाल नहीं ओडू, मैं तो पीली नहीं ओडू,
अपने ही रंग में रंग दे सवारियां ।


Holi Krishna bhajan-


फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद किशोर।
घेर लई सब गली रंगीली, छाय रही छबि छटा छबीली,
जिन ढोल मृदंग बजाये हैं बंसी की घनघोर।

जुर मिल के सब सखियाँ आई, उमड घटा अंबर में छाई,
जिन अबीर गुलाल उडाये हैं, मारत भर भर झोर।

ले रहे चोट ग्वाल ढालन पे, केसर कीच मले गालन पे,
जिन हरियल बांस मंगाये हैं चलन लगे चहुँ ओर।

भई अबीर घोर अंधियारी, दीखत नही कोऊ नर और नारी,
जिन राधे सेन चलाये हैं, पकडे माखन चोर।

जो लाला घर जानो चाहो, तो होरी को फगुवा लाओ,
जिन श्याम सखा बुलाए हैं, बांटत भर भर झोर ।

राधे जू के हा हा खाओ, सब सखियन के घर पहुँचाओ,
जिन कबीरा पद गाए हैं, लगी श्याम संग डोर।


Friday, 22 March 2013

Uddhav gopi story - shri krishna leela

Radhe Radhe,

Gopi explain Uddhav what is love



Uddhav leela is very close to my heart.because it teaches that it is not mind but heart which is required for pure bhakti.

Uddhav ji was son of Vasudev's(Shri Krishna's father) little brother Devbhaag.
After his childhood, Devraj Indra took him to Swarg Lok(Heaven) and Uddav got education from DevGuru Vrihaspati.
After Kansa death, Uddhav Ji returned to Mathura and here he was main minister of Yadav's and became good friends with Shri Krishna.
Uddhav Ji had very good knowlegde of Shastra, Ved etc but he was missing Bhakti(devotion).
He was in the favour of Nirgun Brahman(the supreme reality without form, quality, gender) while Gopis were in favour of pure devotion(shuddh premabhakti).

"Real wise person(ज्ञानी) is that person who loves God without ego or greed(निश्छल और निष्कपट )"

To combine knowledge and Love, Shri Krishna sent Uddhav to Braj Bhumi.
Shri Krishna gave His peetambar and Vaijayanti mala to Uddhav and told Uddhav to meet Gopis in this attire otherwise gopis won't talk to you.
Shri Krishna also sent love message to all brajwaasi(mother, father, gopis etc) that He remembers them a lot.
Krishna instucted Uddav to meet nandbaba and mata yashoda  first.

As instructed , Uddhav ji first met with NandBaba and yashoda.
Nandbaba asked about the well being of Krishna.

NandBaba said.."Uddhav ji, We(gop-gwal, birds etc) consider Him(Krishna) everything, does he also remember us?
Sometimes i also feel, he is not in Mathura, but playing in my lap.He is touching my beard. Sometimes i feel, he is sitting on my shoulder touching my hair. i see him everywhere. Uddhav Ji, when will my kanhaiya return? What crime i have done?"
Saying all this, Nandbaba started crying.

Meanwhile Yashoda ji also came there and said-
"Can someone see dreams without sleeping? Sometimes i feel Krishna is in Mathura and sometimes i feel Krishna is in my lap."
Saying all this, Yashoda ji also started crying.

Yashoda ji also said, we pray to Lord Vishnu that wherever kanhaiya live, he should be happy.

Seeing Yashoda and Nandbaba in this state, half of his ego(ego of knowlegde) was destroyed like this.
Uddhav ji started to think, how to teach Yashoda and nandbaba about nirgun brahman knowledge.

"Nirguna means “without attributes”. The term “Nirguna Brahman” implies that God as the Absolute has no name and form or attributes"

It went from evening to morning (3:30am) like this talking about Krishna.
3:30 am is the time of Brahma Muhurta.
Now it was time for Gopis to wake up. They were chanting Shri Krishna name while making butter.
All the sound that was getting created due to making of butter started to sound like dholak(like drum).
It was making a sound like gham-gham.
Their bangles were making sound like chhan-chhan and it started to sound like Majira.
Shri Krishna name chanting and these sounds seemed like sankirtan.

Bhaj Govindam, Bhaj Govindam, Govindam bhaj hare hare,
krishna kanhaiya, bal mukundam, nand kumaram hare hare

It was habit of every Gopi that after completing their household work, they used to come to Nandbaba home and nandbaba ke praangan ko pranaam karna(Obeisance to countryard).
Whether krishna is there or not, it has no meaning for them, they used to come there daily.

On this day, Uddhav ji and Gopis met each other,
Uddhav ji told gopis that he has come here to give message of Krishna to you.
Recognizing peetambar and baijanti mala of krishna , Gopis did praanam(Obeisance) to Uddhav.

Gopis asked-"You have brought the message of which Krishna? Does Krishna live in Mathura only? See there, he is sitting on Kadamb tree playing flute. You see him only in Mathura but we see him everywhere"

Uddhav ji started to give them teaching of Nirgun Brahman.
Gopis said we don't know, what is sagun and what nirgun.
We only know about our love with Krishna.
Now each Gopi narrated their story about how they see Krishna everywhere in their daily life.

Shyam tan, Shyam man, Shyam hi humaro dhan,
aathon yaam humko udho(uddhav) shyam se hi kaam hai,
shyam heeye, shyam jeeye, shyam hi to khaye peeye,
andhe ki si laakdi , aadhar shyam naam hai,

Shyam mati, shyam gati, shyam hi to praan pati,
shyam sukhdaayi so, bhulaayi shobha dhaam hai,
shyaam aan, shyam praan, shyam hi humari shaan,
aadi ant madhya, humara shyamaviram hai.

After listening to each story, Uddhav damned his knowledge.
He thought, i know everything about sagun brahman, but never felt presence of God.
These brajwaasi are illiterate, still they are experiencing omniness of God.
He felt,my dry knowledge is of no use.

Now Uddhav ji requested for meeting Shri Radha Rani.
This story i will update in next part.

Thursday, 21 March 2013

Meera bai bhajan

Here is a beautiful meera bai bhajan

-

This bhajan is based on the events that happened when Meera ji was in her in-laws palace and her husband had died.
After her husband(Rana Kumbha) and father-in-law Rana Sangha died , Meera was named his successor by Rana Sangha.
So Rana's relatives started to torture Meera even though Meera ji had no desire for throne(power of state).
While Meera ji was busy in Krishna bhakti,
tortures came like:
Meera was sent a basket with a cobra inside and a message that the basket contained a garland of flowers. Meera, after meditation, opened the basket and found inside a lovely idol of Sri Krishna with a garland of flowers. The relentless Rana (her brother-in-law) sent her a cup of poison with the message that it was nectar. Meera offered it to her Lord Krishna and took it as His Prasad. It was real nectar to her. The bed of nails that the Rana sent transformed into a bed of roses.


सारी सारी रात मीरा, हरि गुण गाये रे,
हरि गुण गाये मीरा , मस्त हो जाए रे ।
(meera ji in Krishna bhakti day and night, and overjoyed with Krishna's love)

राणा ने भेज्या जहर प्याला ,
मीरा ने समझया अमृत प्याला,
आप भी पीवे मीरा, हरि को पिलाये रे,
हरि गुण गाये मीरा , मस्त हो जाए रे..


राणा ने भेज्या नाग पिटारी,
मीरा ने समझया, कृष्ण मुरारी,
आप भी नाचे मीरा, हरि को नचावे रे,
हरि गुण गाये मीरा , मस्त हो जाए रे..

राणा ने भेज्या भोज बना के,
मीरा ने समझया भोग लगा दे,
आप भी खावे मीरा, हरि तो खिलाये रे,
हरि गुण गाये मीरा , मस्त हो जाए रे..

This bhajan is not available with me in digital format, may be i will sing it and upload it(just to tell you the tone of bhajan, how to sing it..:) 

Tuesday, 19 March 2013

punjabi krishna bhajan - translation in english


Punjabi krishna bhajan-

A very beautiful punjabi bhajan.
i am also translating in english in case you don't know punjabi.

किथो रंगायियाँ, पुछ दियां सारियां,
जदो तेरे नाम दियां चडिया खुमारियां ।

(From the time i have got passion for your name,
Everyone is asking me, from where i have got this color of love for shri krishna)


सांवरिया ने किता ऐ कमाल सी,
शहंशाह बनाया मैं तां युगां दी कंगाल सी,
किथो लबे श्याम मेनू, पुछ दियां सारियां,
जदो तेरे नाम दियां चडिया खुमारियां....

(Shri Krishna is amazing,
i was a poor being, he has made me king(not referring to money here, referring to love),
Everyone is asking me, where i found Shyam,
From the time i have got passion for your name....)

हित श्री मेरेया मिलाया संजोग जी,
मिट गए दुःख सारे, होइयां निरोग जी,
जनम जनम दियां कडियाँ बीमारियाँ,
जदो तेरे नाम दियां चडिया खुमारियां....

(Shri Krishna has done such coincidence,
my all miseries have gone away, i have no disease,
all my diseases lasting from ages have gone away,(not referring to diseases of body, referring to diseases like hatred, ego, jealousy etc)
From the time i have got passion for your name....)

Video link-

 

Monday, 18 March 2013

karunamayi krishna priya, bhav paar laga dena - by sri thakur ji

Beautiful bhajan by sri thaku ji-


राधे रानी से यही प्रार्थना है:

करुणामयी कृष्ण प्रिया, भव पार लगा देना,
जब याद करू तुमरी, मुझे अपनी शरण लेना ।
(karunamayi krishna priyaa, bhav paar laga dena,
jab yaad karu tumri, mujhe apni sharan lena)

सुत मात पिता भ्राता, सब मतलब का नाता,
जब तन से प्राण निकले, नर इकला ही जाता,
झूठे इस बंधन में , मेरे खुल ना सके नैना ।
जब याद करू तुमरी...

जीवन की अंतिम प्रार्थना हर एक भक्त की एक ही तो होती है-

राधे इस जीवन में, मैंने और ना कुछ माँगा,
जब तन से प्राण निकले, तेरा दर्शन ही माँगा,
जब मन पर कष्ट पड़े, मेरे बहने लगे रे नैना...



Tuesday, 5 March 2013

Maiya mori mein nahi makhan khayo lyrics and video


Maiya mori mein nahin makhan khaayo lyrics-

मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो,
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो...

इस भजन की वास्तविकता हम सब जानते है, कान्हा ने माखन तो खाया था,
और मैया ने देख भी लिया था,
परन्तु अब मुह से निकल गया, तब ठाकुर जी तर्क देने लगे..

भोर भयो गैयन के पाछे,
तूने मधुबन मोहे पठायो,
चार पहर वंशी वट भट्कयो,
सांझ परे घर आयो,
री मैया मोरी मैं कब माखन खायो...
(bhor bhayo gaiyan ke paache,
tune madhuban mohe pathaayo,
chaar pahar vanshi vat bhatkayo,
saanjh pare ghar aayo)

अब ये तर्क नहीं चला, तो दूसरा तर्क देने लगे..

मैया मोरी, मैं बालक, बैयन को छोटो,
ये छींको किस विधि पायो.

मैया बोली, बातें मत बनाओ, ये मुह पर माखन कैसे लगा??

मैया ये ग्वाल-बाल सब बैर पड़े हैं,
बरबस मुख लपटायो,
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो... :)

Here is the video-

Monday, 4 March 2013

When Shri Krishna went to Mathura


जब श्री कृष्ण वृन्दावन छोड़ कर मथुरा को जाने लगे, तब गोपियों की जो हालत हुई, उसका मार्मिक वर्णन भजन के रूप में प्रस्तुत है :

(when Shri Krishna went to Mathura, then Gopis felt like this:)


प्राण प्यारा मथुरा जाते, ले गया सबकी जान,
विसरा दी छलिये ने युगों की, इक पल में पहचान ।

(praan pyaara mathura jaate, le gaya sabki jaan,
visra di chhaliye ne yugon ki, ik pal mein pahchaan)


अन्सुअन जल से सींच-सींच कर , बेल प्रेम की बोई,
अँधेरी रातों में जाग - जाग , मैं तेरी याद में रोई,
नव- नव आशाओं की कलियों से , प्रेम की माला पिरोई,
सुख गयी सब स्नेह लताएं, ऐसी होनी होई,
ठंडी साँसों में बदल गयी, प्रेम भरी मुस्कान ,

(ansuan jal se seench -seench kar, bel prem ki boi,
andheri raaton mein jaag-2, mein teri yaad mein roi,
nav-2 aashaon ki kaliyon se, prem ki mala piroi,
sookh gayi sab sneh latayein, aisi honi hoi,
thandi saanso mein badal gayi, prem bhari muskaan)

विसरा दी छलिये ने युगों की, इक पल में पहचान...
visra di chhaliye ne yugon ki, ik pal mein pahchaan


मृदुल सुकोमल कलियों पर, आज हुआ हिमपात,
जीत गया कर्त्तव्य सखी री, हुई प्रेम की मात,
विफल हो गयी शीतल आहें, लगा कठोर आघात,
कौन रचेगा रास अनुपम, शरद पूनम की रात,
सारी आशाएं धूमिल हो गयी, कुंठित हो गया गान,

विसरा दी छलिये ने युगों की, इक पल में पहचान...
(mridul sukomal kaliyon par, aaj hua himpaat,
jeet gaya kartavya sakhi ri, hui prem ki maat,
viphal ho gayi sheetal aahein, laga kathor aaghaat,
kaun rachega raas anupam, sharad poonam ki raat,
saari aashayein dhumil ho gayi, kunthit ho gaya gaan,

visra di chhaliye ne yugon ki, ik pal mein pahchaan)


Wednesday, 27 February 2013

humaro dhan radha shri radha lyrics - bhajan lyrics and video

Hamaro dhan radha, shri radha lyrics


हमारो धन राधा, श्री राधा , श्री राधा,
परम धन राधा राधा राधा राधा राधा ।

जहाँ गेंदा गुलाब अनेक खिले, बैठो क्यूँ करील की छावन में ,
प्रेम सरोवर छोड़ के तू, भटके है क्यूँ चित्त की चाहन में ।
(jahan genda gulaab anek khile, baitho kyun karil ki chhavan mein,
prem sarovar chhod ke tu, bhatke hai kyun chitt ki chaahan mein)


प्रेमी कहे यह प्रेम को पंथ,
रहिबो कर सुधे सुबयन में ,
मन तो है मिले, विश्राम वही,
वृषभान किशोरी के पायन में ।


Here is the video link from youtube:

kishori kuch aisa intezaam ho jaye- lyrics and video

kishori kuch aisa intezaam ho jaye

Beautiful bhajan by Gaurav Shashtri ji..


किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
(Radha rani, please do such a arrangment,
that my toungue always chants your name)

जब गिरते हुए मैंने तेरे नाम लिया है।
तो गिरने ना दिया तूने, मुझे थाम लिया है॥
(whenever i am in trouble, i have taken your name,
and you have saved me)

Here is the video link from youtube:

Monday, 25 February 2013

mukh mod na lena saawariya haye re meaning- krishna bhajan-lyrics and video


Mukh Mod naa lena saawariya haaye re, dil ro ro ke bechain hoga


This is one beautiful bhajan sung by YSR Madhukar.

मुख मोड़ ना लेना सांवरिया हाय रे,
दिल रो रो के बेचैन होगा ।
(Please don't turn away your face from me, Prabhu,
My heart will be restless and crying)

तेरे ही ख्यालो से, आबाद मेरी दुनिया,
भूले से ना कर देना बर्बाद मेरी दुनिया ।
मुख मोड़ ना लेना...
(My world is filled with your thoughts,
Do not ruin it, even by mistake)

(दीन दयाल करी जब ते,
तब ते मन में कछु ऐसी बसी है,
तेरो कहाँ इक जाऊ कहाँ प्रभु,
तेरे ही नाम की फेंत कसी है,
तेरो ही आसिरो एक मलूक (maloom),
तेरे बिना नहीं दूजो जसी है,
ऐह मुरारी पुकार कहूं प्रभु,
देरी हंसी नहीं तेरी हंसी है )
(These are very beautiful lines in bhajan, although these lines are not in official video.
This is not exactly in pure Hindi, so whatever i understood, i have written it here, last line meaning i couldn't really understand)

बेदर्द जमाने की बातों में ना आ जाना,
भक्तों की कसम तुमको, तुम मुझको ना ठुकराना ।
मुख मोड़ ना लेना...

तेरे विरह की मारी, निशदिन नीर बहाए,
पूछे सब सखियन ते प्यारे, एक ही बात तिहारी,
श्री राधा रानी जू पे मैं जाऊं बलिहारी,
अब की लाज हमारी प्यारे मिले बिना मैं मर नहीं जाऊं ।
मुख मोड़ ना लेना....
(Daily, i am in the tears because of separation from you,
i ask from each sakhi(friend) about you)

This is official video link posted by Bhakti Sagar..

krishna bhajan - yugal sarkar ko apnaa diya meine hiyaa hota


Krishna Bhajan-

Yugal sarkaar ko apna diya meine hiya hota,

to jee bhar ke yugal ras prem ka meine piyaa hota.


This is one beautiful krishna bhajan depicting the state of one's life who has just experienced the eternal love of Shri Krishna and Radha Ji.
'Yugal sarkaar' refer to Shri Krishna and Radha Ji.
A person who has felt the love of Yugal Sarkaar no longer enjoy worldly feeling because these worldly feelings seems nothing as compared to Shri Krishna's love.
This is the main point this krishna bhajan makes.
Such a person feels like he has wasted his life in this world upto now by indulging too much in worldly matters.


युगल सरकार को अपना दिया मैंने हिया होता,
तो जी भर के युगल रस प्रेम का मैंने पीया होता ।
(If i would have given my heart to 'Yugal Sarkaar' earlier,
then i would have enjoyed Yugal Prem(Yugal Sarkaar's love) upto heart's content feeling)

फरेबों से भरी दुनिया की चालों में ना गर पड़ता,
तो दुनिया में यूँ गल गल के ना सड़ता खपता और मरता
अटल सत्य यह निर्णय अगर पहले लिया होता
तो जी भर के युगल रस प्रेम का मैंने पीया होता....
(if i wouldn't have fallen into tricks of this world,
then i wouldn't have rotten into this world like this,
if i would have make this eternal truth decision earlier,
then i would have enjoyed Yugal Prem...)

मिले जब से युगल ठाकुर, बदी से नेकी पे आया,
बना कुछ और ही जीवन, ना पहले देखा था पाया,
भला होता यही जीवन, अगर पहले जीया होता,
तो जी भर के युगल रस प्रेम का मैंने पीया होता....
(From the time, i have met Yugal Thakur, i have left evil, and given kindness,
my life has turned into something else, which i had not seen earlier,
Had i lived this life earlier, it would have been better )


This is the bhajan, if you want to listen...

 

Friday, 22 February 2013

chalo chale yashoda dhaam sakhi ri, bahut satave shyam meaning- bhajan


Radhe radhe,

This is a bhajan sung by Nikunj Kamra.
I like this bhajan a lot,
This bhajan is a very sweet compaint to Yashoda that Krishna teases us a lot.
All of this bhajan, Krishna is shown pretty mischievous(causing trouble in playful way).
All the bhajan is sung in pretty sarcastic manner trying to show Krishna mischievous.
But they all Love Krishna and actually want Krishna to behave this way.

Gopis are saying this to each other,
lets go to Yashoda house, Krishna is teasing us a lot.

चलो चले यशोदा धाम सखी री,
बहुत सतावे श्याम, सखी री....
(chalo chale yashoda dhaam sakhi ri,
bahut satave shyam, sakhi ri..)

१. मैया से कहेंगे तेरा गोपाला,
कपटी छलिया , मन का काला,
इस से दुखी हर गाँव की बाला,
गोकुल का बदनाम सखी री...बहुत सतावे..
(We will say to Yashoda, every girl in village is unhappy with Krishna(saying this in sarcastic way),
Actually Gopis think Krishna is a teaser)


२. नित नित मैया मेरी मटकी फोड़े,
पनिया भरूं मैं कैसे, राह ना छोड़े,
नैनन से मोरे नैन जोड़े,
कैसे करें ये काम सखी री ...बहुत सतावे..

(He breaks our pitcher daily, He doesn't let us fill water,
He pairs His eyes with us, how we do this work...)

३. छेड़ मुरलिया कान्हा हमको बुलाये,
हमको बुलाये के बतिया बनाए,
बरबस हम संग रास रचाए,
करदे सुबह से शाम सखी री...बहुत सतावे...
(He calls us by playing flute,
and talks to us by calling us, He does Raas Leela with us,
all the day is spent like this)

Tuesday, 19 February 2013

Kaash aisa dil, muskan, aankhen, aansu mil jaye


Radhe radhe all,

Very beautiful thought-


खूबसूरत है वो मुस्कान जो "श्री कृष्ण" को देख कर खिल जाए
खूबसूरत है वो दिल जो "श्री कृष्ण" के प्यार के रंग मे रंग जाए
खूबसूरत है वो एहसास जिस मे "श्री कृष्ण" के प्यार की मिठास हो
खूबसूरत है वो आँखे जिनमे "श्री कृष्ण" के खूबसूरत ख्वाब समा जाएँ
खूबसूरत है वो आसूँ जो "श्री कृष्ण" के ग़म मे बह जाएँ...

(That smile is beautiful, which bloomes after seeing "Shri Krishna",
That heart is beautiful, which gets colored in the Love of Shri Krishna,
That feeling(Realization) is beautiful, in which there is sweetness of Love of Shri Krishna,
That eyes are beautiful, in which there are beautiful dreams of Shri Krishna,
That tears are beautiful, which flow in the sorrowfulness of Shri Krishna)


shri krishna blue beautiful

Wednesday, 13 February 2013

Childhood story of Krishna - Fruit seller lady - baal leela

Childhood story of Krishna -

Shukdev Ji says to Pareekshit-

There was a lady in Braj of  Pulind caste.
This lady used to come daily to nandgaon to sell fruits.
One day, she got the glimpse of Shri Krishna playing with His friends.
She got so much attacted to that image of Krishna that she got restless to see that image again.
She was striving to see that image again but she couldn't see that image again for some time.
One day, as per her routine, she called at the main gate of NandBhavan(Krishna's house) to sell her fruits.

No one was at home at that time except Krishna.
Krishna came outside with some grains in his hands.
Grain was consistently leaking from His hands.
She handed over all the fruits to Krishna in exchange for few seeds of grain.
She was completely captivated by the beautiful image of Krishna(कृष्ण छवि ).
Krishna sat in her lap, she hesitated in the beginning because she belonged to lower caste, but Krishna assured her that Pure love is above cast.
She left the place with that grain.

Now everything in this world was waste for her because she had got what she wanted i.e. Shri Krishna.
When she opened her fruit's carry bag, it was full of diamonds(रत्न ).

Moral of the story:
We should completely devote ourselves to Him, and just do our Karma.
There shouldn't be a feeling of possession of these worldly things because these things will perish one day.

krishna with fruit seller




Tuesday, 12 February 2013

Shri Krishna Lori - soja lalla soja


Lori for Shri Krishna-

सोजा लल्ला सोजा,
सोजा राजा सोजा,
थपकी देकर गाए,
सोजा तोहे सुलाए,
ममता बांवरी, ममता बांवरी।

तोहे बड़े होके करने हैं बड़े बड़े काम,
इस जग से मिटाना है पापियों का नाम,
सोजा बेटा सोजा।

इक मन चाहा वरदान है तू,
मेरा नन्हा सा भगवान् है तू,
सोजा लल्ला सोजा।

मुख देखे सुख पाए,
फूली नहीं समाए,
ममता बांवरी, ममता बांवरी।

-यशोदा जी

There is one more Lori, you can see it  here

Shri Krishna Lori


Lori for Shri Krishna-

ओ कान्हा, तुम तो सो जाओ, तुम्हे तो नींद प्यारी है,
तुम्हे तो नींद प्यारी है, हमें तो रात भारी है
हमें तो रात भारी है, दिल में बेकरारी है ।

(o kanha, please sleep, you love sleep
you love sleep, but this night is heavy for us,
this night is heavy for us because we are in your love and we desire to see you, our heary is restless without you)

चन्दन का बना पालना, रेशम की लगी डोरी,
तोहे सखियाँ सुलाती है, गा गा के शाम लोरी ।
मेरी आँखों के तुम तारे, बाबा के राज दुलारे,
तोहे मैया सुलाती है, तुम सोजा मेरे प्यारे,
जब होगी सुबह की बेला, मैं तुमको जगाउगी,
माखन और मिश्री का तोहे भोग लगाउंगी ।

सोजा, सोजा, सोजा...

(your cradle is made of sandalwood, and lanyard is of silk,
gopi sing lori for you to sleep, you are star of my eyes,
please sleep kanha, this mother is singing lori for you
When it will be morning, i will wake you up and give you butter and mishri)

Monday, 11 February 2013

childhood story of krishna - ukhal story - baal leela

Radhe Radhe,

This story will also explain why shri krishna is also called "DAMODAR".
Mother Yashoda was annoyed with Krishna, because Krishna had spilled all the milk in the kitchen/place where milk was kept.
Mother Yashoda tried to tie Krishna's stomach(UDAR in Hindi) with rope(DAM in Hindi).
but rope fell short by length equal to 2 fingers.
Mother tried to combine many ropes and then tried to tie down Krishna.
Everytime rope fell short by length equal to 2 fingers.

This length(2 fingers) represent ego "AHAMKAR" of human being.
No one can tie Krishna with ego.
He can only be bound by pure love towards Him.
In the end, Mother Yashoda requested Krishna to get tied down.
So Krishna got tied down only by a short rope.

This is why Krishna is also called DAMODAR(DAM + UDAR) .

Message of the story-
1. Krishna can be bound by love only, not ego. If we will have ego left, there will always be a gap of 2 fingers between us and Him.
2. We need to have full love towards Him, means our love should not be divided, complete devotion should be towards Him.

We always divide our things like, this share is for Krishna, this share for family, this share for friend etc.
Everthing is for Krishna, we should extract the share for others(not extract share for Krishna), everything else is for Krishna only.
krishna with ukhal



Details of Wives of Shri Krishna

Radhe Radhe,

Everyone knows Shri Krishna had many wives.
Here i want to answer, how many wives Krishna had and their details.

So Krishna had 16,108 wives.
They were like 16108 = 8(PatRani) + 16100(RaajRani).
8 of them were main queens:
Their names are:
Rukmini, Jambanti, Satyabhama, Kalindi(Yamraj sister), MitraVinda, Satya, Bhadra, Laxmana

These 8 patrani are called ashtada prakriti(eight powers of nature).
All of this nature is under ashtada prakriti.
All of these 8 powers are under Shri Krishna and Shri Krishna is owner of them.
Those who bow down before nature is called Jeev.

God has given power to only human that we can override this behavior of nature and liberate from this world.
Animals doesn't have this power and they only behave according to the nature.


Rest of the 16100 were richa(verse) of Vedas.
Each of the Ved has 4025 verses, and we have total 4 Vedas.
Each verse came in form of a girl and married to Shri Krishna.
These girls were captive under Bhaumasur(son of Bhumi), Shri krishna defeated Bhaumasur and liberated these girls and married them.
shri krishna wives

(English) Gopi cheer haran leela shri krishna


Gopi cheerharan Leela
Radhe Radhe,

The main point of highlighting this story in this blog is that all the gopi/girls were between 6 to 8 years of age when this cheerharan Leela happened(as mentioned in shri mad bhagwad).
When we watched this story of TV, they have shown them around 20-25 years of age.
Probably it would have looked awkward on TV to show them between 6-8 years.
But the point is, every krishna bhakt should know the reality irrespective of what is shown on national television.
so here is the full story:

Shukdev ji says to Pareekshit:

Every girl of NandBraj and Barsana started to keep fast of Bhagwati katyayani so that they can get Shri Krishna as their Husband.
These girls are very small in age, eldest among them is 'chandrawali' of 10 years. rest of them are in between 6-8 years.
These are the real sisters of friends of Shri Krishna
krishna's age is  7 years, 3 months, 22 days.

Every girl used to wish the same thing from Bhagwati Katyayani:
"Please make Shri Krishna as our husband, We bend down before you for this "
1 month passed like this(keeping fast), but these girls don't know that Bhagwati Katyayani doesn't have this power, you can only get Shri Krishna after His own graciousness.
Devi-devta doesn't have this power.

(devi-devta ki shakti seemit(Limited) hoti h, jabki bhagwan ki shakti aseemit(unlimited) hai,
aur devi devta vardaan dene se pehle ye nahin sochte ki ye tumhare liye acha hai ya bura(like a shopkeeper), par shri krishna is baat ka dhyan rakhte hai ki jo wo de, wo tumhare bhale ke liye ho(like a mother))
(power of devi-devta is limited while God's power is unlimited, and whatever God give to us, it is for our own good, they do not give anything which might be bad for us(like a mother))

Bhagwati Katyayani knows that she doesn't have this power, so she pray to Shri Krishna for this.
Shri Krishna agrees.

Krishna has started walking for Gocharan(cows eating).
Today balram ji won't go, because this is a setting made by Shri krishna because Cheer Haran Leela can't be done in front of elder brother....:)
Today, Shri Krishna will go to temple of Bhagwati Katyayani.
He has seen from distance that worship hasn't started yet in temple.
Right now, all the girls are taking bath without clothes.
It is wrong to bath like this in Yamuna and also it is insult to God of water 'Varun'.
To teach these girls a lesson, Shri krishna stole their clothes and kept it on a tree.
Now girls got embarrassed and started to trick Shri Krishna into giving them clothes.

Now after some time, their clothes are returned.
After Shri Krishna's eyes fell on them, their 8 pash got removed and they are now eligible for MahaRaas.

Now these girls started to sing:

Nanha nanha sa Gopal, mera dulha kamaal
Mein to shyam piya ki dulhaniyan,

Tedhi chale vanmaal, chale tedhi si chaal,
pake run-jhun pair ki painjaniya...

Radhe Radhe...:)

(English)Bhakti of Meera Ji - A small story of Meerabai


Jai Shri Krishna,
This is a small story of Meera Ji which i heard from a mahatma ji.

When meera ji got married, she reached her in-laws house.
Her mother in law was very jealous of her.
Her Mother-in-law asked her - you want to chant krishna name. you must be in need of a quiet place?

Meera ji answered yes.
The place was old fort. it was believed that ghosts live there.
There were many kings in the past from this kingdom and everyone wanted money, power etc.
So it was believed that ghosts of these dead kings live there because these dead kings spirits couldn't free themselves from this world.
So no one used to go there.

Meera ji didn't know anything about this and started to live in that lonely place.
she was happy that her God(Krishna) arranged such a lonely place for her where no one would disturb her.


Meera ji got absorbed in Krishna bhakti(devotion).
When it got dark, ghosts started to come but meera ji was totally absorbed in Krishna bhakti.
It is a fact that no ghosts can come near Krishna devotee
So those ghosts couldn't even touch Meera ji.
infact they started to listen to Meera's chanting.
For some days, this scenario kept on happening.
After some days, these spirits got freed from this world due to Krishna chanting listening from Meera Bai.

Although Meera ji didn't know anything about this.
When those spirits were leaving this place, then they started to appear in front of Meera ji.
they gave blessing to meera ji and left.

Moral of the story:
Krishna chanting has great power. So we should keep on chanting name of Shri Krishna.

I had first written this story in Hindi+English, you can refer to original post to listen Meera ji Bhajan.

Friday, 8 February 2013

why radha ji and shri krishna didn't marry

Radhe radhe all,

We all know Krishna left vrindavan at the age of 11 years.
All the Gopi and Radha ji had this deep,eternal love for shri krishna.
Infact all the Gopi's had their different husband but radhaji never married.
(although i read on internet that radhaji also had husband like other gopis, but i didn't find any such mention in Shri Mad bhagwat)

Now, the question is why Krishna and radhaji didn't marry.
Infact Krishna had over 16000 wives, so why not one more?
We all know marriage is a bond which happens between two persons.
Radha and Krishna are not two people, they are one.
So how can marriage happen between Radha and Krishna.

I am quoting one conservation between Radhaji and Lalipa Gopi from shri mad bhagwat:

ललिता गोपी ने श्री राधिका जी से पूछा - आपका और श्री कृष्ण का क्या नाता है?

राधा जी ने कहा - ललिता, तूने जो मानना हो मान ले ।

ललिता जी ने कहा समझ गयी - आप श्री कृष्ण की प्रियतमा है और वो आपके प्रियतम है ।
राधा जी ने कहा-
तू कुछ नहीं समझी ।
हम दोनों में प्रियतमा और प्रियतम का भेद है ही नहीं ।
बस मिलन की तीव्र जिज्ञासा-अभिलाषा पैदा होती है, जो हम दोनों को पीस कर एक बना देती है ।
ये प्रेम की प्रगाड़ता(गहराई) है जो राधा को कृष्ण बना देती है और कृष्ण को राधा बना देती है ।



Lalita Gopi to Radha: what is the relation between you and Krishna?

Radha: Lalita, you can assume whatever you want.
Lalita Gopi said: ok, i understood. you are her beloved and he is your beloved.
Radha ji said, you didn't understand anything.
There is no concept of beloved between us.
there is just intense curiosity to meet each other, which makes both of us a piece.
This depth of love, makes radha into Krishna and Krishna into radha.

relation between radha and krishna

Wednesday, 6 February 2013

relation between radha and krishna

Radhe Radhe all,
This post is in Hindi language.
i have explained this in english in my other post.

ललिता गोपी ने श्री राधिका जी से पूछा - आपका और श्री कृष्ण का क्या नाता है?
राधा जी ने कहा - ललिता, तूने जो मानना हो मान ले ।

ललिता जी ने कहा समझ गयी - आप श्री कृष्ण की प्रियतमा है और वो आपके प्रियतम है ।
राधा जी ने कहा-
तू कुछ नहीं समझी ।
हम दोनों में प्रियतमा और प्रियतम का भेद है ही नहीं ।
बस मिलन की तीव्र जिज्ञासा-अभिलाषा पैदा होती है, जो हम दोनों को पीस कर एक बना देती है ।
ये प्रेम की प्रगाड़ता(गहराई) है जो राधा को कृष्ण बना देती है और कृष्ण को राधा बना देती है ।
इसलिए यहाँ नित्य संयोग भी है और सदा वियोग भी है ।

"सदा वियोगिनी, श्री राधा, नित्य संयोगिनी श्री राधा , अदभुत योगिनी श्री राधा
जय राधा बोलो श्री राधा, जय राधा बोलो श्री राधा"





radha krishna ek hai

Monday, 4 February 2013

radha-krishna bhajan - radhe tere charano ki gar dhool jo mil jaaye

Radhe radhe sabko,

I want to share one radha rani bhajan with you all:


राधे तेरे चरणों की, गर धूल जो मिल जाए,
सच कहती हूँ मेरी तकदीर बदल जाये ।

ये मन बड़ा चंचल है, कैसे तेरा भजन करूं,
जितना इसे समझाऊ उतना ही मचल जाए ।
राधे तेरे चरणों की गर धूल जो मिल जाए...

राधे मेरे जीवन की, बस एक तमन्ना है,
जब अंत समय आये, तुम सामने हो मेरे ।
राधे तेरे चरणों की गर धूल जो मिल जाए...

English:
Radhe, i wish for the poor dust of your feet
Truly, it will change my destiny.

my mind is very playful, how i chant your name,
harder i try to explain it, that much it yearns.
Radhe, i wish for the poor dust of your feet..

Radhe, in my life, there is just one wish,
when my final time comes, you should be in front of me.
Radhe, i wish for the poor dust of your feet...


radhe charan

Sunday, 3 February 2013

sweet bhajan - teri ankhiyan hai jaadu bhari - krishna bhajan

This is a very sweet bhajan, i want to share with you all.

तेरी अँखियाँ है जादू भरी,
बिहारी मैं तो कब से खड़ी।

१. सुनलो मेरे श्याम सलोना, तुमने ही मुझ पर कर दिया टोना,
मैं तो तेरे ही द्वारे पड़ी, बिहारी मैं तो कब से खड़ी ।

२. तुमसा ठाकुर और ना पाया, तुमसे ही मैंने नेहा लगाया,
मेरी अँखियाँ तुम्ही से लड़ी, बिहारी मैं तो कब से खड़ी ।

जा रहे हो मथुरा, एक कृपा तो करते जाना...
३. कृपा करो हरिदास के स्वामी, बांके बिहारी , अन्तर्यामी,
मेरी टूटे ना भजन की लड़ी, बिहारी मैं तो कब से खड़ी ।
तेरी अँखियाँ है जादू भरी...

English:
O Bihari ji, your eyes are filled with magic,
i am waiting for you for a long time!!!

1. listen my shyam, you have done some kind of magic on me,
i am standing before you, waiting for you..

2.i didn't find thakur(God) like you, i have loved only you,
my eyes are only on you, waiting for you.

Now you are going to Mathura, do one favour to me...
3. O baanke bihari, Owner of Haridas,
 My bhajan streak shouldn't break, i am waiting for you..



(Hindi font)Relationship between aatma and param-atma


सतगुरु-ईश्वर का दर्द है ..

एक बूँद ..जो सागर का अंश थी ! एक बार हवा के
संग बादलोँ तक पहुँच गई । इतनी ऊँचाई पाकर उसे
बड़ा अच्छा लगा । अब उसे सागर के आँचल मेँ कितने
ही दोष नज़र आने लगे।

लेकिन अचानक .
एक दिन बादल ने उसे ज़मीन पर
एक गंदे नाले मेँ पटक दिया । एकाएक उसके सारे
सपने, सारे अरमां चकनाचूर हो गए ।
ये एक बार नहीँ अनेकोँ बार हुआ । वो बारिश बन
नीचे आती, फिर सूर्य की किरणेँ उसे बादल तक
पहुँचा देती ।

अब उसे अपने सागर की बहुत याद आने लगी । उससे
मिलने को वो बेचैन हो गई ; बहुत तड़पी, बहुत
तड़पी .. ..।

फिर ..एक दिन सौभाग्यवश एक नदी के आँचल मेँ
जा गिरी । उस नदी ने अपनी बहती रहनुमाई मेँ
उसे सागर तक पहुँचा दिया।

सागर को सामने देख बूँद बोली -
हे मेरे पनाहगार सागर !
मैँ शर्मसार हूँ ।
अपने किये कि सज़ा भोग चुकी हूँ । आपसे बिछुड़ कर मैँ एक पल भी शांत ना रह पाई ।
दिन-रैन दर्द भरे आँसू बहाए हैँ ;
अब बस इतनी प्रार्थना है कि आप मुझे अपने पवित्र आँचल मेँ समेट लो !

सागर बोला - बूँद ! तुझे पता है तेरे बिन मैँ
कितना तड़पा हूँ ! तुझे तो दुःख सहकर एहसास हुआ
। लेकिन मैँ ..मैँ तो उसी वक्त से तड़प रहा हूँ जब तूने
पहली बार हवा का संग किया था ; तभी से
तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ ।...और जानती है उस
नदी को मैँने ही तेरे पास भेजा था । अब आ !
आजा मेरे आँचल मेँ !
..बूँद आगे बढ़ी और सागर मेँ समा गई । बूँद सागर
बन गई।
...
ये बूँद कोई और नहीँ ; हम सब ही वो बूँदेँ हैँ,
जो अपने आधारभूत सागर उस परमात्मा से बिछुड़
गई हैँ। इसलिए ना जाने कितने जन्मोँ से भटक रहे
हैँ।
और वो ईश्वर ना जाने कब से हमसे मिलने को तड़प
रहा है । उनका वो दर्द , वो तड़प ही "पूर्ण
सद्गुरु" के रुप मेँ इस धरती पर बार-बार अवतरित
होता है ।हमेँ उनसे मिलाने के लिए ही ।
लेकिन पता नहीँ उनकी तड़प को हम कब समझेँगे ।

जय जय श्री राधे कृष्‍णा

(Hindi font)story of shaitaan and sant


एक बार की बात है एक संत कहीं जा रहे थे , उन्हे
रास्ते में एक व्यक्ति पांच गधों पर सामान ले
जाता हुआ मिला ।
संत ने पूंछा - भाई तुम कौन हो ?
व्यक्ति - व्यापारी हूं
संत - किस चीज का व्यापार करते हो ?
व्यक्ति - ये गधों में जो सामान लदा है उनका
संत - क्या लदा है ?
व्यक्ति - पहले गधे में अत्याचार , दूसरे में अहंकार ,
तीसरे में ईर्ष्या , चौथे में
बेईमानी , पांचवे में छल कपट लदा है ।
संत - इन्हे भला कौन खरीदता है ?
व्यक्ति - अत्याचार सत्ताधारी खरीदते हैं ,
अहंकार सांसारिक लोगों की पसंद है ,
विद्वानों को ईर्ष्या चाहिये ,
बेईमानी व्यापारी वर्ग लेते हैं और छल - कपट
महिलाओं को कुछ अधिक ही पसंद है ... और
मेरा नाम तो आपने सुना ही होगा मुझे शैतान कहते
हैं , सारी मानव जाति भगवान
की नहीं मेरी प्रतीक्षा करती हैं , मेरे व्यापार में
लाभ ही लाभ है ।
संत - पर तुम जा कहां रहे हो ?
व्यक्ति - खरीददारों की तलाश में ... इतना कह
कर व्यक्ति चला गया ।
वह व्यापारी आज भी ग्राहकों की तलाश में घूम
रहा है ...
सावधान रहें उसके ग्राहक न बनें !
जय जय श्री राधे कृष्णा

Thursday, 31 January 2013

bhajan- sakhi ri baanke bihari se humari lad gayi ankhiyaan- nikunj kamra

Radhe radhe ,

i want to share one bhajan with you all, i heard it on video sharing site sung by nikunj kamra.
i like this bhajan a lot.
Sakhi ri baanke bihari se humari lad gayi ankhiyaan...

सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गयी अँखियाँ,
बचायी थी बहुत लेकिन, निगोड़ी लड़ गयी अँखियाँ ।

१. ना जाने क्या किया जादू, ये तकती रह गयी अँखियाँ,
चमकती हाए बरछी सी, कलेजे गड गयी अँखियाँ ।

२. चहुँ दिस रस भरी चितवन, मेरी आँखों में लाते हो,
कहो कैसे कहाँ जाऊं, ये पीछे पड़ गयी अँखियाँ ।

३. भले ये तन से निकले प्राण, मगर ये छवि ना निकलेगी,
अँधेरे मन के मंदिर में, मणि सी गड गयी अँखियाँ ।

English:
My Sakhi, my eyes are longing for baanke bihari,
i tried to save them a lot, but they still want to see baanke bihari.

1. i don't know what magic was done on me, these eyes kept staring,
Like a flashing spear, these eyes stuck into my heart.

2. This beautiful image, you bring before my eyes,
tell, how, where to go, these eyes are chasing me.

3. Even if this life goes out of my body, but this image will not leave me,
in this lost heart like temple, these eyes are stuck like ruby.



shri krishna radha beautiful wallpaper





Tuesday, 29 January 2013

shri krishna maha raas leela - part 3

Radhe radhe ,

As we read in last part, Gopis have reached to Shri Krishna for Maha Raas Leela.
But Shri Krishna tested them by saying, you should go back to your family, as it is your duty.
Gopis passed in their test, as they said-
we know our duty, now we can't go back to our family.
We would have only gone back, if we had some kind of Dosha(Vikaar or flaw) left in us.
In our previous incarnation, we were sages and walked the path of knowledge, duty etc.
In this incarnation, we have taken the form of Gopis, now we only need Love from you.

Gopis were not ordinary devotees. They were doing this preaching, gaining knowledge for number of years in their previous incarnation.
But now they understood that they can only get Krishna with love.

Gopis also said -  our heart is in your possession, give back our heart, we will go back to our family.
Shri Krishna got overwhelmed and convinced.

He replied - I can not give back your heart. The person whose heart gets attached with me, can not return to the world.

Our heart is Suksham Tatva(सूक्ष्म तत्त्व), it can only get attached to one place, either Krishna or world.
This is why one of the name of Krishna is also "MANMOHAN".

(जिन्हा ने मिलाइयां ने कृष्ण नाल अँखियाँ,
वो नहीं मेलदे, संसार नाल अँखियाँ )

Krishna got conviced that Gopis have come with pure feelings.
(For Raas leela to happen with us, we need to have pure feelings, with any Dosha left is us, we can never enter raas leela.)


Krishna came in middle of Gopis and said, i was joking with all of you.
All the gopis felt very happy and everywhere there was delight.

Shri Krishna took many forms (for each Gopi) and Maha Raas Leela happened.
It is not feasible to describe this Leela in words.
This is something which can be felt only.
I hope Krishna give us this devotion to feel it... :'(


shri krishna maha raas leela - part 2

Radhe radhe sabko,

ab tak ki leela mein gopiyan shri krishna ke paas pahunch gayi hai raas leela ke liya, jaisa ki raas leela part 1 mein bataya gaya.

shri krishna ne gopiyon ki raas se pehle parikshaa leni chahi, aur wo bole:

shri krishna gopiyon se kahne lage -
aapka swagat hai, kaho braj mein sab kushal to hai!!!
aap sab is samay kaise daudi aayi..
aap sab ka is samay ratri mein aana theek nahin hai.
aap sab ke pita, pati, ghar waale aap sab ko ghar mein naa pakar vyakul ho rahe honge.
yah kaarya dharam vipreet hai.
agar tumhara prem shudh hoga, to tum sab ghar baithe hi mujhe prapt kar logi.

shyaam sunder ki aisi kathor baatein sunkar sabhi gopiyaan shoka kul ho uthi.
aankho se dukh ke aansu jhar-jhar bahane lage.

Gopiyan shri krishna se kahne lagi- 
aaj aap itne kathor kyun ho rahe hain.
pehle to aapne apni baansuri se humara naam lekar humein yahan bulaya.
ab humein waapis kyun lauta rahe hain.

shri krishna ne kaha-
deh ka swami pati hota hai, is sharir ka koi pati/pita/bhai hoga.
kintu aatma ka koi pati/pita nahi hota.
aatma ka dharam se paramatma se milna.
tum ghar mein rahti hui, apna deh dharam nibhati hui, apni aatma ko mujh mein lagaye rakho.
tumhari yahi dharam maryada hai.

Gopiyan kahne lagi-
hum to aapki prem bhakta hai.
hum apni sab aakansha, vaasna ko chhod kar aapke paas aayi hai.
humein apne paas hi rakh lijiye.
aapki vanshi se humara sansaar ujaad diya hai.

Gopiyon ke yahi bhaav bhajan ke roop mein is prakaar hain:

ऐ श्याम तेरी वंशी की कसम, तेरी वंशी ने उजाड़ दिया,
कह-कह के बंधन का खूंटा, तेरी वंशी ने उखाड़ दिया ।
(यहाँ उजाड़ने से अभिप्राय यह है कि अब हम संसार के काबिल नहीं रही है, जब से आपकी शरण में आयी है, यह संसार अब हमारे किसी काम का नहीं है)

हम रही ना जग की अब काबिल, तेरी चाहत की है हम तालिब,
कल ना पडत दिन रैन हमें, तेरी चाहत ने हमें मार दिया ।

नहीं लौट के हमने जाना है, तेरे अधरामृत को पाना है,
ऐ मधुसुदन कर दो पूरा, जो तुमने है इकरार किया ।

aage ki maha raas leela, is in raas leela part 3.

shri krishna maha raas leela - kaamdev story

Radhe radhe,

jaisa ki meine apni last post  maha raas leela post- part1 mein bataya, jaha shri krishna ne gopiyon ko maha raas ke liye apni bansuri se bulaya tha.

is leela se judi hui ek aur kahani shri mad bhagwat mein aati hai:
ye kahani aati hai kaamdev ki.

kaamdev ke mann mein abhimaan aa gaya ki wo hi is srishti ka sabse bada dev hai.
naarad ji ne kaamdev ka abhimaan choor karne ke liye kaamdev se kaha - srishti ka sabse bada dev banne se pehle vrindavan ke ek gop-kumar se to 2-2 haath kar aao...:)

ab devarshi naarad ki baat kaamdev ko chubh gayi, usmein abhimaan jaag gaya ki ek gop kumar mujhe kya harayega.
kaamdev ne shri krishna ko gokul mein jaakar lalkaar diya aur bole aap sharad purnima ki raatri ko braj ki yuvtiyo(ladkiyon) ke saath vihaar kare, us samay mein aap par apne baan chalaunga.

yadi us samay aap nirvikaar(vikaar rahit) rahenge, tabhi mein aapko ishwar maanunga.
bhagwaan shri krishna ne kaamdev ki ye chunauti sweekar kar li.

kaamdev ki haar to nishchit hi thi.
kyunki bhagwaan mein vikaar nahin aa sakta, kyunki jab sooraj devta ki kiran sab yuvtiyon ko chhuti hai, aur unmein vikaar nahi aata, to bhala shri krishna mein vikaar kaise aa sakta hai.

jab sharad purnima ki raatri aayi, tab shri krishna ne gopiyon ke saath maha raas leela ki.
tab kaamdev ne shri krishna par suman baan chalaya, parantu shri krishna nirvikaar hi rahe.

aage ki leela ka varnan aise hai: raas leela.



shri krishna maha raas leela - part 1

Radhe radhe sabko,

Is post mein maha raas leela ko sunana chahta hu.
maha raas leela ko shri mad bhagwat mein kaafi importance diya gaya hai, kyunki ye koi saadharan leela nahi  thi.
ye aatma aur paramatma ka milan hai.
raas leela mein vaasna ki koi jagah nahin hai, agar kisi ke mann mein thoda sa bhi vikaar/vaasna hai, to raas leela mein pravesh nahi mil sakta.
jaisa ki bhagwaan ne vaada kiya tha gopi cheer haran leela mein, ki wo gopiyon ke saath raas leela karenge.
Gopi cheer haran leela ke baad gopiyon se shareer vaasna rahit ho gaye the.

ab gopiyan har raat ko wait karti thi, ki wo din kab aayega, jab shri krishna apna vaada poora karenge aur gopiyon ke saath raas karenge.
ab wo din aa hi gaya.
sharad poornima ki chandni raat mein shri krishna bansuri baja kar ek-ek gopi ko bula rahe hain.
koi gopi gobar leep rahi thi, koi shringaar kar rahi thi, koi aata goond rahi thi.
jo gopi jis haalat mein thi, usi haal mein shri krishna se milne daud padi.
sab gopi ki haalat ajeeb hi thi.
aankho ka kaajal hontho par laga diya, kisi ke haath aate se sane hue the, kisi ke gobar se sane hue the,
lehnga sir par daal liya.
shri krishna raas leela with gopi

kahne ka matlab ye hai ki, ki gopiyon ko apni shaaririk dasha maloom hi nahi thi.
bhagwaan shankar ji bhi gopi ka bhesh bana kar raas leela mein aaye.
waise bhi raas leela ka sharir se kucch lena dena bhi nahin tha, ye to aatma ka paramatma se milan tha.
agar shaaririk sundarta ka jara sa bhi ahankaar aa jata, to raas leela ka koi matlab hi nahin rah jata.

kuch log raas leela ko vaasna ki nazar se dekhte hain, aisa kahna bilkul galat hai.
pehli baat to ye, raas leela khule aasmaan ke neeche sharad purnima ki chandani mein hui thi, agar kisi ke mann mein thoda bhi vikaar hota, to ye leela band kamre mein hoti.
doosri baat ye, ye koi aurat-purush ka milan nahin hai, balki ye to maaya ke aavaran se rahit shudh jeev-ishwar ka milan hai.
gopi ka matlab hi shri krishna se prem hai, apni aurat-purush nature ko bhulaa kar.

teesri baat ye, raas leela bhagwat ka phal hai, raas leela ke 5 adhyaay, 5 prano ke prateek hai.
5 praano ka ishwar ke saath raman ka naam hi raas leela hai.

aage bahut hi sunder raas leela aati hai joki is prakaar hai raas leela part 2
maha raas leela se sambandhit ek aur leela shri mad bhagwat mein aati hai - kaamdev leela





Tuesday, 22 January 2013

beautiful beautiful krishna bhajan - ni mein hath vich leke iktara

ni mein hath vich leke iktara -  krishna bhajan


Radhe radhe sabko,
is post mein, ek bhajan sunana/padwana chahta hu aap sab ko.
ye bhajan thoda punjabi/hindi(self-explanatory) mein hai, so agar koi punjabi word/meaning aapko samajh na aaye, to comment kijiyega, waise meine hindi mein bhi meaning likh diya hai.
bahut sunder bhajan laga ye mujhe, isliye mujhe laga jitne jyada log ise pad/sun sake.
this bhajan is kind of a ulahaana(complaint) for our shri krishna.
bhagwaan ji ko ulhaana diya gaya hai, ki aapne pehle to dilaasa diya tha, aur ab aap mil nahi rahe.
bhaav yahi hai ki, ab hum udaas ho gaye hain aapke bina ,ab humein mil jao.

Bhajan ke bol aise hai:


ni mein hath vich leke iktara, chapa chapa chhan maarya
kithe milya na pritam pyaara, chapa chapa chhan maarya
(meine thakur ji ko har jagah dhundh liya, diye(tara) ki roshni lekar
parantu pritam pyaara kahi nahi mila)
1) deke dilasa naale chal gaya chaal ve, bada hi kathor saiyon nand ju da laal ve,
    saanu(humko) de gaya jhootha hilaara, chapa chapa..
   (wo humein jhootha dilasa dekar chale gaye, aur ab mil nahi rahe, wo bade hi kathor hain)

2) deve na daga ve kithe brij deya vaasiya, tere bina huiya aaj ankhiyan udaasiyan,
    kithe chup gaya ankhiyan daa taara, chapa chapa...

3) shyam, shyam, shyam ,shyam, gaande mere ghoongru, ruthe hue shyam nu manande mere ghoongru,
    tere bina soona lage jag sara, chapa chapa....

krishna bhajan in hindi script:


नी मैं हथ विच लेके इकतारा, चप्पा चप्पा छान मारया
किथे मिलया ना प्रीतम प्यारा, चप्पा चप्पा छान मारया।

१. देके दिलासा नाले चल गया चाल वे,
बड़ा ही कठोर सइयों नन्द जू दा लाल वे,
सानू दे गया झूठा हिलारा । चप्पा चप्पा...

२. देवे ना दगा वे किथे बृज देया वासिया,
तेरे बिना हुइआ आज अँखियाँ उदासियाँ,
किथे छुप गया अँखियाँ दा तारा। चप्पा चप्पा...

३. श्याम- श्याम -श्याम-श्याम, गान्दे मेरे घुँघरू,
रूठे हुए श्याम नू मनांदे मेरे घुँघरू,
तेरे बिना सूना लगे जग सारा । चप्पा चप्पा...


ye video hai bhajan ka, taki aap tune bhi sun sake aur bhajan ka aur anand mil sake:

Thursday, 17 January 2013

Meaning of word Satchidananda(सच्चिदानन्द)

Radhe Radhe Sabko,

With this post, i want to explain the meaning of the word Satchitanand or Satchidanand(सच्चिदानन्द).


Meaning:


Satchitanand(Sat+Chit+Anand) swaroop bhagwan ko hum baar baar abhinandan karte hain.
parmatma ke 3 swaroop shastro mein kahe gaye hain:
1. Sat
2. Chit
3. Anand

Meaning of Sat:
Sat ka matlab jo kabhi naash na ho, parmatma avinashi hai.
for example, jaise badal aakash mein bante hain, badal to mit jate hain, par aakash kabhi nhi mit ta.
aise hi ye sansaar bhagwan ne banaya hai, sansaar ka astitva(existence) sirf bhagwaan se hi hai.

Meaning of Chit(gyan):
Chit kahte h chetan ko, 
bhagwan chetan hai aur sansaar jad(जड़) hai.
jaise hamara ye jad sharis aatma se aashrit(dependent) hai, isi tarah se, ye jad sansaar parmatma se aashrit hai.
is sansaar mein jaha kahi bhi chetna dikhai deti h, wo us parmatma ka hi ansh hai.

Meaning of Anand:
is sansaar mein humein jaha kahi se bhi anand mil raha hai, wo us paramatma ke anand sindhu ka ek bindu matra hai.
humara chit to bindu swaroop se bhi khush ho jata hai, to sochiye us sindhu swaroop mein kitna anand hoga.
infact us anand ki to kalpana hi nahi ki ja sakti.
bhagwaan ka doosra naam hi anand hai kyunki Anand is main component of all these 3.


Hamare jeevan mein aawashyakta(want) to hai paramatma ki, but hum kaamna(desire) karte hain sansaar ki.
here is the proof:
har insaan jeena chahta hai, matlab use SAT chahiye
har insaan ko gyan chahiye, matlab use CHIT chahiye
har insaan khush rahna chahta hai, matlab use ANAND chahiye.
is tarah har insaan to chahiye (SAT+CHIT+ANAND) jo ki paratma hai.
ye 3 aawashyakta(want) natural hai, baki sab kaamna(sansaar ki desire) unnatural hai.
is kaamna ke khatam hote hi insaan ka hriday(mann) krishna ke premanand se prakashit ho jayega.

radhe radhe!!!





Tuesday, 15 January 2013

when person becomes true devotee?

Radhe Radhe sabko,

Jaisa ki meine apne last blog Gopi cheerharan leela mein bataya, ki insaan ko bhagwaan se milne ke liye vaasna jaise vikaar se mukt hona padta hai, tabhi insaan bhagwaan ko paa sakta hai.

Apne inhi vikaar ke karan hi gopiyan shri krishna ka anubhav nhi kar paa rahi thi, but gopi cheerharan leela ke baad unka vikaar shri krishna ne door kar diya.

Mein aap sabko ek story sunata hun is sandharbh mein:

Ek Sant ke paas thi paras mani(lohe ko sparsh se lohe ko sona bana deti h).
koi ek insaan uska chela ban gaya.
wo insaan bhagwad bhajan aur bhagwad naam ke liye nahi, balki us paaras mani ko churane ke liye Sant ka chela ban gaya tha.
ab sant kumbh ke mele mein snan karne chala gaya, aur peeche se us chele ne poora aashram dhundh liya.
jab use wah paras mani nahin mili, to usne kutiya ko hi khodna shuru kar diya.
Jab Sant ji wapis aaye, to unhone pucha ye tune kyun kiya.
Chele se sab baat sach sach bata di.
to Sant ji ne kaha, wo khidki par padi to hai paras mani.
jab chele ne khidki mein jakar dekha, to usmein lohe ki dibiya(dibbi) thi.
Chele ne bola ye to mere haath mein kafi baar aayi, par meine ise phenk diya, kyunki ye dibbi to lohe ki hai.
agar ismein paras mani hoti , to ye dibbi sone ki ban jati.

Jab sant ne us dibiya ko khola, to paras mani ek aavaran(covering) mein lipti hui thi.
isliye lohe ki dibiya sone ki nahin ban paa rahi thi.

Phal Shruti(Lesson):
is kahani se humein ye lesson milta hai, ki hum to hai hi thakur ji ke.
bas is vaasna(vikaar) ke aavaran(covering) ke karan hum thakur ji se mil nahin paa rahe hain.
jis din ye vikaar hamare andar se mit jate hain, us din hum thakur ji ke ho jayenge.
jab ye jeev apne aap ko thakur ji ko samarpit kar deta hai, thakur ji kripa karke ye aavaran hata dete hain
aur hamesha ke liye humein apna bana lete hain.



Friday, 11 January 2013

Gopi cheer haran leela shri krishna

Gopi cheerharan Leela
Radhe Radhe,

The main point of highlighting this story in this blog is that all the gopi/girls were between 6 to 8 years of age when this cheerharan Leela happened(as mentioned in shri mad bhagwad).
When we watched this story of TV, they have shown them around 20-25 years of age.
Probably it would have looked awkward on TV to show them between 6-8 years.
But the point is, every krishna bhakt should know the reality irrespective of what is shown on national television.
So here is the full story:
This story is in Hindi+English.
You can read this story in English from here.

Shukdev ji says to Pareekshit:

Nandbraj aur Basane ki sabhi balikao ne brajrajkumar(shri krishna) ko var roop mein pane ke liye kartik mahine ki purnima se bhagwati katyayani ke vrat shuru kar diye.
Vrat ka sankalp lene wali balikayein abhi bahut chhoti umar ki hai, unmein sabse badi 10 years ki 'chandrawali' hai. baki sab 6 se 8 years ke beech ki hai.
ye sab gwal-balo ki sagi behen(real sister) hai.
krishna ki age 7 years, 3 months, 22 days hai.

sabhi balikao ke bhagwati katyayani se yahi wish rahti thi:
"nand nandad ko hamara pati bana dijiye. Hum sab is ke liye aapke charno mein pranam karti hai"
aisa karte karte(vrat rakhte rakhte) 1 mahina beet gaya, par in balikao ko nahin pata, ki ye vardaan dene ki power bhagwati katyayani mein nahin hai.Kyunki bhagwan sirf apni kripa se hi prapt hote hai.
aisa karne ki shakti kisi devi-devta mein nahi hai.

(devi-devta ki shakti seemit(Limited) hoti h, jabki bhagwan ki shakti aseemit(unlimited) hai,
aur devi devta vardaan dene se pehle ye nahin sochte ki ye tumhare liye acha hai ya bura(like a shopkeeper), par shri krishna is baat ka dhyan rakhte hai ki jo wo de, wo tumhare bhale ke liye ho(like a mother))


Bhagwati katyayani ko pata hai, ye vardaan dene ki power unke paas nahin hai.
isliye wo bhi bhagwan shri krishna se prathna(prayer) kar rahi hai.
Bhagwan ke ye pukar sun li hai.

vrindavan mein krishna gocharan(cows ko chara khilana) ke liye chal diye hai.
aaj dau(balram ji) ko nhi jana h, kyunki ab ye cheer haran leela bade bhai se saamne thodi kar sakte hain...:D(haha)
aaj shri krishna bhagwati katyayani mandir ke paas gaye hai.
unhone door se hi dekh liya hai, ki abhi pooja shuru nahin hui hai.
abhi balikayein shri yamuna ji mein nirvastra snan(bath) kar rahi hai.
nirvastra(without clothes) yamuna ji mein nahana galat baat hai. ye jal ke devta varun dev ka apmaan hai.
inko sabak sikhane ke liye bhagwan ji ne balikao ke kapde chori kar liye hai aur aadar se laad kar ped par taang diye.
ab balikayein lajjit ho gayi and shri krishna ko maska(patane) lagi and aur apne kapde vapis maangne lagi.

iske baad maafi maangne par inke kapde wapis kar diye gaye aur balikao ne surya dev ko namaskaar kiya.
Shri krishna ki nazar padne par balikao ke 8 pash kat gaye aur wo bhagwaan ke saath raas ki bhagi bani.
(Shri krishna ki raas ke bhagi banne ke liye sharir(body) mein kisi tarah ka vikaar nhi hona chahiye)

ab sabhi balikayein ek doosre mein baho mein bahein daal kar gaane lagi:

Nanha nanha sa Gopal, mera dulha kamaal
Mein to shyam piya ki dulhaniyan,

Tedhi chale vanmaal, chale tedhi si chaal,
pake run-jhun pair ki painjaniya...

Radhe Radhe...:)